CBSE BOARD X, asked by rajeshrwt2867, 8 months ago

अपना हाथ जगननाथ पर अनुच्छेद

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Answered by bipinc1568
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हाथ जगन्नाथ अर्थात हर व्यक्ति अपना भगवान स्वयं हुआ करता या बन वास्तव में इस लोकोक्ति या कहावत का मल अभिप्राय आदमी के मन में और परिश्रम का महत्त्व उजागर करना है। संसार में आदमी का हित-अहित या हानि-लाभ आदि सब कुछ उसके अपने हाथ में होता है, यह स्पष्ट करना और समझाना कहावत का अभिप्राय एवं प्रयोजन है।

यह संसार उनका नहीं कि जो केवल हाथ-पर-हाथ रख कर बैठे रहते हैं। संसार का प्रत्येक काम कर पाने में वही सफल हुआ करते हैं कि जिन्हें अपने हाथों पर, हाथों की उँगलियों की चंचलता, शक्ति और कार्य क्षमता पर विश्वास हुआ करता है। संसार में सफल हुए प्रत्येक व्यक्ति का इतिहास इस बात का गवाह है। अपना हाथ और उस पर विश्वास वास्तव में आदमी के उद्यम और पुरुषार्थ का प्रतीक है। ऐसा विश्वास लेक चलने वाला व्यक्ति भाग्य के माथे में भी कील ठोकने में जरूर सफल हो जाया करता है। सन्त कबीर ने भी इस तथ्य की ओर संकेत किया है:

‘करू बाहियाँ बल आपणी, छाँड परायी आस ।

जिन के आँगन है नदी, सो कत मरत पियास।

आँगन में नदी बह रही हो और आदमी प्यासा मरे, है न अचरज की बात। तो वह नदी की धारा वास्तव में व्यक्ति के अपने हाथों के कार्य करने की शक्ति ही है। इस शक्ति को पहचान कर जगा लेने वाला व्यक्ति कभी भी भाग्य भरोसे बैठ कर असफलता का रोना नहीं रोया करता, पश्चात्ताप नहीं किया करता। वह समय और परिस्थितियों को अपनी इच्छाओं के साँचे और हाथों के ढाँचे में ढाल कर हर प्रकार की सफलता प्राप्त कर लिया करता है। एक प्रसिद्ध कहावत है कि शेर के समान पुरुषार्थी व्यक्ति को ही लक्ष्मी अपनाया करती है। सब प्रकार के पुरुषार्थ के स्रोत और आधार व्यक्ति के अपने हाथ ही हुआ करते हैं, इसमें तनिक भी सन्देह नहीं।

आपने कर्मशील व्यक्तियों, पुरुषार्थियों को देखा होगा, कोई भी प्रश्न आ खड़ा होने पर वे लोग बार-बार अपने हाथों की तरफ ही देखा करते हैं। ऐसा करके मानो वे हाथों की शक्ति को जगाया या आवाहन किया करते हैं कि यह काम करके ही दम लेना है। प्रश्न का उत्तर खोजना ही है। ऐसा न करने वालों को ही हाथ मल-मलकर पछताना पड़ता है सो आप यदि हाथ मल कर पछताना नहीं चाहते, अपने प्रत्येक कार्य में सफलता और सिद्धि चाहते हैं, तो मात्र इस मंत्र को याद रखते हुए परिश्रम पर जुट जाइये कि बस, अपना हाथ जगन्नाथ।

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