अपने जीवन की किस़ी घटना या अनुभव
के आधार पर एक मौलिक कहाऩी
लिखिए ।
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घटना उन दिनों की है जब मैं छठवीं कक्षा का छात्र था। उन दिनों मेरे मन और मस्तिष्क पर गणित विषय का कुछ ऐसा आतंक था कि उस विषय का नाम ही मुझे पसीने-पसीने कर देता था। कक्षा में गणित के चक्र (घण्टे) में मैं सबसे पीछे ही स्थान ग्रहण करता था। इसका एक कारण था-विषय के अध्यापक का शुष्क एवं कठोर स्वभाव। वह अक्सर कक्षा में प्रवेश के साथ ही चाक तथा श्याम-पट (ब्लैक बोर्ड) का आधार लेकर शिक्षण-कार्य आरम्भ कर देते थे। अगर कोई छात्र किसी भी कारण कक्षा में विलम्ब से प्रवेश करता अथवा विषय के अध्ययन में असावधान दृष्टिगत् होता तो वे बहुत क्रोधित हो जाते थे। सामान्यतः वह छात्र की विषयगत दुर्बलता का कारण ज्ञात करने के स्थान पर उसका उपहास करते थे। इतना ही नहीं विषय के मध्य प्रश्न या शंका समाधान की प्रार्थना को वे ठुकरा दिया करते थे। इस प्रकार मेरे जैसे सामान्य छात्र के मन में उनके प्रति दूरी बढ़ती ही गई। किन्तु एक दिन………..।
वार्षिक परीक्षा आरम्भ होने में एक माह का समय शेष था। मेधावी एवं परिश्रमी छात्र आत्म-विश्वास से पूर्ण सतत् परिश्रम में व्यस्त थे। मुझ जैसे छात्र निराशा के गहन उदधि में निमग्न हो रहे थे। एक दिन दैवी-प्रेरणा से मैं कक्षा के बाद उनसे, अध्यापक-कक्ष में मिला। मैंने विषय-सम्बन्धी परेशानी निवेदन की। उन्होंने मुझे उसी दिन से अपने घर आने का सुझाव दिया। मैं प्रतिदिन नियम से उनके घर गया। कुछ दिन तो उन्होंने मुझसे सूत्र रटने को कहा। इसके पश्चात् उनसे सम्बन्धित प्रश्न हल करने में मेरा मार्ग-दर्शन किया। एक महीने की लगन एवं कठोर परिश्रम ने मेरे आत्म-विश्वास को फिर से जाग्रत किया। उस दिन के बाद तो जैसे मेरा जीवन ही बदल गया। मेरे मन में गणित विषय के प्रति आतंक का भाव तथा यह विचार कि मैं इस विषय में कभी सफल नहीं हो सकता, सदैव के लिए खत्म हो गया।
आज मैं कक्षा दशम का छात्र हूँ। आज गणित के कारण ही मैं जीवन में कुछ कर दिखाने में सफल होने के आत्म-विश्वास से पूर्ण हूँ। इतना ही नहीं अब तो विज्ञान एवं कम्प्यूटर वर्ग में भी मुझे किसी प्रकार का भय अनुभव नहीं होता है। यह सब आदरणीय उन गणित अध्यापक जी की अनुकम्पा एवं आशीर्वाद का परिणाम है। उस दिन मैं साहस कर अपने गणित के उन शिक्षक से न मिला होता तो शायद मैं इस स्थिति में न होता। अन्त में मैं गर्व से कह सकता हूँ कि उस एक घटना ने मेरे जीवन में असीमित सुख, शान्ति एवं आत्म-विश्वास भर दिया। इसके लिए आज भी मेरा मन श्रद्धेय उन गणित अध्यापक जी के चरणों में नत है।
अपना नाम और क्लास एडिट कर लेना