अपनी पाठ्य-पुस्तक के आधार पर किसी एक पात्र का हिन्दी में चरित्र चित्रण कीजिए। (अधिकतम 100 शब्द)
(i) शुकनास
(II) कादम्बरी
(iii) चन्द्रापीड
Answers
कादम्बरी
संस्कृत साहित्य का महान उपन्यास है। इसके रचनाकार वाणभट्ट हैं। यह विश्व का प्रथम उपन्यास कहलाने का अधिकारी है। इसकी कथा सम्भवतः गुणाढ्य द्वारा रचित बड्डकहा (वृहद्कथा) के राजा सुमानस की कथा से ली गयी है। यह ग्रन्थ बाणभट्ट के जीवनकाल में पूरा नहीं हो सका। उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र भूषणभट्ट (या पुलिन्दभट्ट) ने इसे पूरा किया और पिता द्वारा लिखित भाग का नाम 'पूर्वभाग' एवं स्वयं द्वारा लिखित भाग का नाम 'उत्तरभाग' रखा।
जहाँ हर्षचरितम् आख्यायिका के लिए आदर्शरूप है वहाँ गद्यकाव्य कादम्बरी कथा के रूप में। बाण के ही शब्दों में इस कथा ने पूर्ववर्ती दो कथाओं का अतिक्रमण किया है। अलब्धवैदग्ध्यविलासमुग्धया धिया निबद्धेय-मतिद्वयी कथा-कदम्बरी। सम्भवतः ये कथाएँ गुणाढ्य की बृहत्कथा एवं सुबन्धु की वासवदत्ता थीं।
ऐसा प्रतीत होता है कि बाण इस कृति को सम्पूर्ण किए बिना ही दिवंगत हुए जैसा कि उनके पुत्र ने कहा है:
याते दिवं पितरि तद्वचसैव सार्ध
विच्छेदमाप भुवि यस्तु कथाप्रबन्धः।
दुःखं सतां यदसमाप्तिकृतं विलोक्य
प्रारण्य एव स मया न कवित्वदर्पात्॥
पुलिन्द अथवा भूषणभट्ट ने इस कथा को सम्पूर्ण किया।
चन्द्रापीड
महाकवि बाणभट्ट संस्कृत साहित्य के सर्वाधिक समर्थ गद्दे कार हैं कादंबरी उनका प्रसिद्ध काव्य है चंद्र पेड़ कादंबरी में नायक हैं जो शूरवीर तथा विनय शील है चंद्रापीड के पिता तारापीड युवराज चंद्रापीड का राजतिलक कर देना चाहते हैं सेवकों को आवश्यक सामग्री इकट्ठा करने का आदेश दे दिया गया है । राजा तारापीड का एक अनुभवी मंत्री शुकनास है राजतिलक से पहले युवराज चंद्रापीड मंत्री शुकनास का दर्शन करने के लिए जाता है। शुकनास सनी भाव से उसे समय के अनुकूल उपदेश करते हैं।
समय के अनुसार चंद्रापीड महाश्वेता से मिलता है। महाश्वेता ने अपनी सखी कादंबरी के बारे में चन्द्रापीड को बताया तथा उसे कादंबरी से मिलवाया। प्रथम दर्शन से ही कादंबरी और चन्द्रापीड को प्रेम हो जाता है|