India Languages, asked by jskarrey3804, 10 months ago

(ख) काशीहिन्दूविश्वविद्यालयस्य विकासाय सततं प्रयत्नरतोऽपि मालवीय महोदयः देशस्यासहायजनानां

महान्तं क्लेशं दर्श दर्श परमः खिन्नो अभवत्। भारतस्याखण्डतायाः तस्यैकत्वस्य च निदर्शनं
विश्वविद्यालयरूपेण तेन पुरः कृतम्। तन्निमित्तं तेन गुरूः प्रयासो विहितः ।
चत्वारिंशदुत्तरैकोनविंशतिशततमे वर्षे (1944) साम्प्रदायिको झञ्झावातः समुत्थितः ।

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Answered by garimarai320
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Answered by coolthakursaini36
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व्याख्या -> काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विकास में निरन्तर प्रयत्नशील रहते हुए भी मालवीय महोदय ने देश की असहाय लोगों के दुःख दर्द को देखा बहुत दुखी हुए|

भारत की अखंडता और उसकी एकता के दर्शन के लिए उसके द्वारा पहले ही विश्वविद्यालय के रूप में किया गया| उसके लिए उसने गुरु का प्रयास किया| वर्ष 1944 में सांप्रदायिकता का तूफ़ान उठा|

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