अपनेपन की बगिया है खुशहाली का द्वार, जीवन भर की पूँजी है एक सुखी परिवार । मां की ममता में बसता है बच्चों का संसार, जीवन का रस्ता दिखलाए बापू की फटकार । दादा-दादी की बातों में है जीवन का सार, भाई-बहना का रिश्ता है रिश्तों का आधार । घर की लक्ष्मी बनकर पत्नी देती है घर को आकार, बहू जहां बन जाए बेटी होता स्वर्ग वहां साकार । नाजुक डोरी रिश्तों की मांगे बस थोड़ा सा प्यार अहम छोड़ कर गर झुक जाए बना रहेगा घर संसार । टूटेगा हर सपना अपना अगर बिखरता है परिवार साथ अगर हो अपनों का तो होगा खुशियों का अम्बार । आओ करे कामना ऐसी बिखरे ना कोई परिवार मिल झुल कर सब साथ रहे हर दिन हो जाए त्यौहार । अपनेपन की बगिया है खुशहाली का द्वार, जीवन भर की पूँजी है एक सुखी परिवार......... Is kavita ke kavi kon hai Please tell....
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Hindi Poems on Family – परिवार पर हिन्दी कविताएँ
1.1 परिवार / रामधारी सिंह “दिनकर”
1.2 निम्मी का परिवार / कन्हैयालाल मत्त
1.3 छोड़लाँ हम्में घर-परिवार, सतगुरु अइलाँ तोहरे द्वार / ब्रजेश दास
1.4 हमाओ बीघन कौ परिवार / जगदीश सहाय खरे 'जलज'
1.5 धन जन परिवार क्षण में सभे उजार / भवप्रीतानन्द ओझा
1.6 परिवार नियोजन / मथुरा प्रसाद 'नवीन'
1.7 परिवार / देवानंद शिवराज
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