Hindi, asked by anado7042, 8 months ago

अपने ऊपर जो विश्वास हुआ था, वह फिर लुप्त हो गया और फिर चोरों के सा जीवन करने लगा class 10 स्पर्श ​

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Answered by meghana1308
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Bade Bhai Sahab Summary - पाठ सार

प्रस्तुत पाठ में एक बड़े भाई साहब हैं जो हैं तो छोटे ही परन्तु उनसे छोटा भी एक भाई है। वे उससे कुछ ही साल बड़े हैं परन्तु उनसे बड़ी - बड़ी आशाएं की जाती हैं। बड़े होने के कारण वे खुद भी यही चाहते हैं कि वे जो भी करें छोटे भाई के लिए प्रेरणा दायक हो। भाई साहब उससे पाँच साल बड़े हैं, परन्तु तीन ही कक्षा आगे पढ़ते हैं। वे अपनी शिक्षा की नींव मज़बूती से डालना चाहते थे ताकि वे  आगे चल कर अच्छा मुकाम हासिल कर सकें। वे हर कक्षा में एक साल की जगह दो साल लगाते थे और कभी- कभी तो तीन साल भी लगा देते थे।वे हर वक्त किताब खोल कर बैठे रहते थे ।

लेखक का मन पढ़ाई में बिलकुल भी नहीं लगता था। अगर एक घंटे भी किताब ले कर बैठना पड़ता तो यह उसके लिए किसी पहाड़ को चढ़ने जितना ही मुश्किल काम था। जैसे ही उसे ज़रा सा मौका मिलता वह खेलने के लिए मैदान में पहुँच जाता था। लेकिन जैसे ही खेल ख़त्म कर कमरे में आता तो भाई साहब का वो गुस्से वाला रूप देखा कर उसे बहुत डर लगता था।बड़े भाई साहब छोटे भाई को डाँटते हुए कहते हैं कि वह इतना सुस्त है कि बड़े भाई को देख कर कुछ नहीं सीखता । अगर लेखक अपनी उम्र इसी तरह गवाना चाहता है तो उसे घर चले जाना चाहिए  और वहां मजे से गुल्ली - डंडा खेलना चाहिए ।  कम से कम दादा की मेहनत की कमाई तो ख़राब नहीं होगी।

भाई साहब उपदेश बहुत अच्छा देते थे। ऐसी-ऐसी बाते करते थे जो सीधे दिल में लगती थी लेकिन भाई साहब की डाँट - फटकार का असर एक दो घंटे तक ही रहता था और वह इरादा कर लेता था कि आगे से खूब मन लगाकर पढ़ाई करेगा। यही सोच कर जल्दी जल्दी एक समय सारणी बना देता।परन्तु समय सारणी बनाना अलग बात होती है और उसका पालन करना अलग बात होती है।

वार्षिक परीक्षा हुई। भाई साहब फेल हो गए और लेखक पास हो गया और लेखक अपनी कक्षा में प्रथम आया। अब लेखक और भाई साहब के बीच केवल दो साल का ही अंतर रह गया था। इस बात से उसे अपने ऊपर घमण्ड हो गया था और उसके अंदर आत्मसम्मान भी बड़ गया था। बड़े भाई साहब लेखक को कहते हैं कि वे ये मत सोचो कि वे फेल हो गए हैं, जब वह उनकी कक्षा में आएगा, तब उसे पता चलेगा कि कितनी मेहनत करनी पड़ती है। जब अलजेबरा और जामेट्री करते हुए कठिन परिश्रम करना पड़ेगा और इंग्लिस्तान का इतिहास याद करना पड़ेगा तब उसे  पता चलेगा। बादशाहों के नाम याद रखने में ही कितनी परेशानी होती है। परीक्षा में कहा जाता है कि -'समय की पाबंदी' पर निबंध लिखो, जो चार पन्नों से कम नहीं होना चाहिए। अब आप अपनी कॉपी सामने रख कर अपनी कलम हाथ में लेकर सोच-सोच कर पागल होते रहो। लेखक सोच रहा था कि अगर पास होने पर इतनी बेज्जती हो रही है तो अगर वह फेल हो गया होता तो पता नहीं भाई साहब क्या करते, शायद उसके प्राण ही ले लेते। लेकिन इतनी बेज्जती होने के बाद भी पुस्तकों के प्रति उसकी कोई रूचि नहीं हुई। खेल-कूद का जो भी अवसर मिलता वह हाथ से नहीं जाने देता। पढ़ता भी था, लेकिन बहुत कम। बस इतना पढ़ता था की कक्षा में बेज्ज़ती न हो।

लेखक भाई साहब की इस समझाने की नई योजना के कारण उनके सामने सर झुका कर खड़ा था। आज लेखक को सचमुच अपने छोटे होने का एहसास हो रहा था न केवल उम्र से बल्कि मन से भी और भाई साहब के लिए उसके मन में इज़्ज़त और भी बड़ गई। लेखक ने उनके प्रश्नो का उत्तर नम आँखों से दिया कि भाई साहब जो कुछ कह रहे है वो बिलकुल सही है और उनको ये सब कहने का अधिकार भी है।

इतिफाक से उस समय एक कटी हुई पतंग लेखक  के ऊपर से गुज़री। उसकी डोर कटी हुई थी और लटक रही थी। लड़कों का एक झुण्ड उसके पीछे-पीछे दौड़ रहा था। भाई साहब लम्बे तो थे ही, उन्होंने उछाल कर डोर पकड़ ली और बिना सोचे समझे हॉस्टल की और दौड़े और लेखक भी उनके पीछे -पीछे दौड़ रहा था।

hope this hepls uh dear :)

PLS MARK AS BRAINLIEST...

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