अपठित गद्यांश मैं सोचता हूँ? स्त्रियों के पास एक महान शक्ति सोई पड़ी है। 'दुनिया की आधी से बड़ी ताकत उनके पास है। आधी इसलिए कहता हूँ कि दुनिया में स्त्रियाँ आधी तो हैं ही। आधी ये भी बड़ी इसलिए कि बच्चे उनकी छाया में पलते हैं और वे जैसा चाहें उन बच्चों को परिवर्तित कर सकती है। पुरूषों के हाथ में कितनी ही ताकत हो, लेकिन पुरूष भी एक दिन स्त्री की गोद में होता है वहीं से वह अपनी यात्रा शुरू करता है। एक बार स्त्री की पूरी शक्ति जाग्रत हो जाए और वे निर्णय कर ले कि किसी प्रेम की दुनिया को निर्मित करेंगी, जहाँ युद्ध नहीं होंगे, जहाँ हिंसा नही होगी, जहाँ राजनीति नहीं होगी, जहाँ राजनीतिज्ञ नहीं होगें और जहाँ जीवन में किसी भी तरह की बीमारियाँ नहीं होगी, तो संसार का कल्याण हो जाए। जहाँ भी प्रेम है, जहाँ भी करूणा है, जहाँ भी दया है, वहाँ स्त्री मौजूद है। इसलिए मैं कहता हूँ किं स्त्री के पास आधी से ज्यादा ताकत है, वह पाँच हजार वर्षों से बिलकुल सोई हुई तथा सुप्त पड़ी है। नारी की शक्ति का कोई उपयोग नहीं हो सका है। भविष्य में यह उपयोग हो सकता है। उपयोग होने को एक सूत्र यही है कि स्त्री यह तय कर लें कि उन्हें पुरूषों जैसा नही बनना है। (1) उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-5x2) (क) दुनिया की आधी से अधिक ताकत स्त्रियों के पास किस प्रकार है? (ख) पुरूष एक दिन स्त्रिी की गोद में होता है, वहीं से वह अपनी यात्रा आंरभ करता है वाक्य का क्या आशय है? (ग) स्त्रियों की कौन-कौन सी शक्ति सोई पड़ी है? (घ) यदि स्त्रिी शक्ति जाग्रत हो जाए तो लेखक उनसे क्या-क्या अपेक्षाएँ करते है? (ड) गद्यांश का उपर्युक्त शीर्षक लिखिए।
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(ख) पुरूष एक दिन स्त्रिी की गोद में होता है, वहीं से वह अपनी यात्रा आंरभ करता है वाक्य का क्या आशय है? (ग) स्त्रियों की कौन-कौन सी शक्ति सोई पड़ी है? (घ) यदि स्त्रिी शक्ति जाग्रत हो जाए तो लेखक उनसे क्या-क्या अपेक्षाएँ करते है? (ड) गद्यांश का उपर्युक्त शीर्षक लिखिए।
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