अपठित गद्यांश
सम् बह
ु
त म
ू
ल््यवयन होतय है। ्ह बीत जयए तो लयखों-करोडों रुप्े खर्च करके
भी इसे वयपस नह ां लय्य जय सकतय। इस सांसयर में जजसने भी सम् की कद्र
की है, उसने सु
ख के सयथ जीवन ग
ु
जयरय हैऔर जजसने सम् की बबयचद की,
वह ख
ुद ह बबयचद हो ग्य है। सम् कय म
ू
ल्् उस खखलयडी सेप
ू
छिए, जो सेकां ड
के सौवेठहस्से से पदक र्
ू
क ग्य हो। स्टेशन पर खडी रेलगयडी एक ममनट के
ववलांब से ि
ू
ट जयती है। आजकल तो कई ववद्यल्ों मेंदेर सेआनेपर
ववद्यल् में प्रवेश भी नह ां करने ठद्य जयतय। ियत्रों को तो सम् कय म
ू
ल््
और भी अच्िी तरह समझ लेनय र्यठहए, क््ोंकक इस जीवन की कद्र करके वे
अपने जीवन के लक्ष्् को पय सकते हैं।
(क) उपरोक्त गद्यांश में कीमती ककसे मयनय ग्य है?
(i) जीवन को (ii) अन
ु
शयसन को (iii) सम् को (iv) खेल को
(ख) ककसनेसु
ख के सयथ जीवन ग
ु
जयरय ?
(i) जजसने दछ
ु
न्य मेंखूब धन कमय्य (ii) जजसने मीिी बयणी बोल
(iii) जजसने सम् की कद्र की (iv) जजसने सम् को बबयचद कक्य
(ग) सेकांड के सौवें ठहस्सेसे पदक कौन र्ूक जयतय है
(i) खखलयडी जजसनेमयमलू अांतर से पदक गांवय ठद्य हो
(ii) वह ्यत्री जजसकी ट्रेन िूट गई (iii) उप्
ु
चक्त दोनों लोग (iv) इनमें कोई नह ां
(घ) ियत्रों को सम् की कद्र करने से क््य लयभ होतय है?
(i) वे स्वस्थ हो जयते हैं। (ii) वे मेधयवी बन जयते हैं।
(iii) वे सभी ववष्ों में 100% अांक प्रयप्त करते हैं। (iv) वे लोकवप्र् हो जयते हैं।
(ङ) इस गद्यांश कय उप्
ु
क्त शीषचक होगय -
(i) सम् कय मल्ू् (ii) जीवन कय लक्ष््
(iii) ववद्यथी जीवन में सम् कय महत्त्व (iv) अनश
ु
यसन
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ङ) इस गद्यांश कय उप्
ु
क्त शीषचक होगय -
(i) सम् कय मल्ू् (ii) जीवन कय लक्ष््
(iii) ववद्यथी जीवन में सम् कय महत्त्व (iv) अनश
ु
यसन
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