apathit kavyansh in hindi with answers for grade 9
Answers
1. अपने नहीं अभाव मिटा पाया जीवन भर पर औरों के सभी अभाव मिटा सकता हूँ। तूफानों-भूचालों की भयप्रद छाया में, मैं ही एक अकेला हूँ जो गा सकता हूँ। मेरे ‘मैं’ की संज्ञा भी इतनी व्यापक है, इसमें मुझ-से अगणित प्राणी आ जाते हैं। मुझको अपने पर अदम्य विश्वास रहा है। मैं खंडहर को फिर से महल बना सकता हूँ। जब-जब भी मैंने खंडहर आबाद किए हैं, प्रलय-मेघ भूचाल देख मुझको शरमाए। मैं मजदूर मुझे देवों की बस्ती से क्या अगणित बार धरा पर मैंने स्वर्ग बनाए। प्रश्न (क) उपर्युक्त काव्य-पंक्तियों में किसका महत्व प्रतिपादित किया गया है? (ख) स्वर्ग के प्रति मजदूर की विरक्ति का क्या कारण है? (ग) किन कठिन परिस्थितियों में उसने अपनी निर्भयता प्रकट की है? (घ) मेरे ‘मैं’ की संज्ञा भी इतनी व्यापक है, इसमें मुझ-से अगणित प्राणी आ जाते हैं। उपर्युक्त पंक्तियों का भाव स्पष्ट करके लिखिए। (ङ) अपनी शक्ति और क्षमता के प्रति उसने क्या कहकर अपना आत्म-विश्वास प्रकट किया है? उत्तर- (क) उपर्युक्त काव्य-पंक्तियों में मजदूर की शक्ति का महत्व प्रतिपादित किया गया है। (ख) मज़दूर निर्माता है । वह अपनी शक्ति से धरती पर स्वर्ग के समान सुंदर बस्तियाँ बना सकता है। इस कारण उसे स्वर्ग से विरक्ति है। (ग) मज़दूर ने तूफानों व भूकंपों जैसी मुश्किल परिस्थितियों में भी घबराहट प्रकट नहीं की है। वह हर मुसीबत का सामना करने को तैयार रहता है। (घ) इसका अर्थ यह है कि ‘मैं’ सर्वनाम शब्द श्रमिक वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रहा है। कवि कहना चाहता है कि मजदूर वर्ग में संसार के सभी क्रियाशील प्राणी आ जाते हैं। (ङ) मज़दूर ने कहा है कि वह खंडहर को भी आबाद कर सकता है। उसकी शक्ति के सामने भूचाल, प्रलय व बादल भी झुक जाते हैं।
Answer:
अपने नहीं अभाव मिटा पाया जीवन भर पर औरों के सभी अभाव मिटा सकता हूँ। तूफानों-भूचालों की भयप्रद छाया में, मैं ही एक अकेला हूँ जो गा सकता हूँ। मेरे ‘मैं’ की संज्ञा भी इतनी व्यापक है, इसमें मुझ-से अगणित प्राणी आ जाते हैं। मुझको अपने पर अदम्य विश्वास रहा है। मैं खंडहर को फिर से महल बना सकता हूँ। जब-जब भी मैंने खंडहर आबाद किए हैं, प्रलय-मेघ भूचाल देख मुझको शरमाए। मैं मजदूर मुझे देवों की बस्ती से क्या अगणित बार धरा पर मैंने स्वर्ग बनाए। प्रश्न (क) उपर्युक्त काव्य-पंक्तियों में किसका महत्व प्रतिपादित किया गया है? (ख) स्वर्ग के प्रति मजदूर की विरक्ति का क्या कारण है? (ग) किन कठिन परिस्थितियों में उसने अपनी निर्भयता प्रकट की है? (घ) मेरे ‘मैं’ की संज्ञा भी इतनी व्यापक है, इसमें मुझ-से अगणित प्राणी आ जाते हैं। उपर्युक्त पंक्तियों का भाव स्पष्ट करके लिखिए। (ङ) अपनी शक्ति और क्षमता के प्रति उसने क्या कहकर अपना आत्म-विश्वास प्रकट किया है? उत्तर- (क) उपर्युक्त काव्य-पंक्तियों में मजदूर की शक्ति का महत्व प्रतिपादित किया गया है। (ख) मज़दूर निर्माता है । वह अपनी शक्ति से धरती पर स्वर्ग के समान सुंदर बस्तियाँ बना सकता है। इस कारण उसे स्वर्ग से विरक्ति है। (ग) मज़दूर ने तूफानों व भूकंपों जैसी मुश्किल परिस्थितियों में भी घबराहट प्रकट नहीं की है। वह हर मुसीबत का सामना करने को तैयार रहता है। (घ) इसका अर्थ यह है कि ‘मैं’ सर्वनाम शब्द श्रमिक वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रहा है। कवि कहना चाहता है कि मजदूर वर्ग में संसार के सभी क्रियाशील प्राणी आ जाते हैं। (ङ) मज़दूर ने कहा है कि वह खंडहर को भी आबाद कर सकता है। उसकी शक्ति के सामने भूचाल, प्रलय व बादल भी झुक जाते हैं।
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