Apna apna bhagya ke main character By jainedra kumar
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जैन प्रेमचंद-परम्परा के प्रमुख साहित्यकारों में एक प्रसिद्ध नाम है। इन्होंने उच्चशिक्षा काशी विश्वविद्यालय से प्राप्त की। सन् 1921 ई० में पढ़ाई छोड़कर, गाँधीवादी विचारधारा से प्रभावित होकर असहयोग आंदोलन से जुड़ गए। नागपुर में इन्होंने राजनीतिक पत्रों में संवाददाता के रूप में भी कार्य किया। इनकी प्रथम कहानी ’खेल’ 'विशाल भारत' पत्रिका में प्रकाशित हुई। सन् 1929 में इनका पहला उपन्यास 'परख’ प्रकाशित हुआ जिस पर उन्हें हिन्दुस्तान अकादमी का पुरस्कार भी मिला। जैनेंद्र ने अपनी रचनाओं में पात्रों के चरित्र-चित्रण में सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक दृष्टि का परिचय दिया है। जैनेंद्र कुमार की भाषा सहज है, पर जहाँ विचार आ गए हैं, उनकी भाषा गम्भीर हो गई है। इनकी भाषा में अरबी, फ़ारसी, उर्दू तथा अंग्रेजी भाषा के शब्दों के साथ-साथ मुहावरों और कहावतों का प्रयोग भी हुआ है।