apne jeevan ka sansmaran in hindi
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हिन्दी के प्रारंभिक संस्मरण लेखकों में पकृ सिंह शर्मा हैं। इनके अतिरिक्त बनारसीदास चतुर्वेदी, महादेवी वर्मा तथारामवृक्ष बेनीपुरी आदि हैं। चतुर्वेदी ने "संस्मरण" तथा "हमारे अपराध" शीर्षक कृतियों में अपने विविध संस्मरण आकर्षक शैली में लिखे हैं। हिन्दी के अनेक अन्य लेखकों तथा लेखिकाओं ने भी बहुत अच्छे संस्मरण लिखे हैं। उनमें से कुछ साहित्यकारों का उल्लेख करना प्रासंगिक होगा। श्रीमती महादेवी वर्मा की "स्मृति की रेखाएँ" तथा "अतीत के चलचित्र" संस्मरण साहित्य की श्रेष्ठ कृतियाँ हैं। रामबृक्ष बेनीपुरी की कृति "माटी की मूरतें" में जीवन में अनायास मिलने वाले सामान्य व्यक्तियों का सजीव एवं संवेदनात्मक कोमल चित्र्ण किया गया है।
इनके अतिरिक्त देवेन्द्र सत्यार्थी ने लोकगीतों का संग्रह करने हेतु देश के विभिन्न क्षेत्रें की यात्रायें की थीं, इन स्थानों के संस्मरणों को भावात्मक शैली में उन्होंने लिखा है। "क्या गोरी क्या साँवली" तथा "रेखाएँ बोल उठीं" सत्यार्थी के संस्मरणों के अपने ढंग के संग्रह हैं। भदन्त-आनन्द कोसल्यायन ने अपने यात्र जीवन की विविध घटनाओं तथा परिस्थितियों के संदर्भ में जो अनेक पात्र मिले उनके सम्बन्ध में अपने संस्मरणात्मक आलेखों को दो संकलनों "जो न भूल सका" तथा "जो लिखना पडा" में संगृहीत किया है। कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर ने "भूले हुए चेहरे" तथा "दीपजले शंख बजे" में अपने कतिपय अच्छे और आकर्षक संस्मरण संकलित किये। संस्मरण को साहित्यिक निबन्ध की एक प्रवृत्ति भी माना जा सकता है। ऐसी रचनाओं को संस्मरणात्मक निबंध कहा जा सकता है। गुलाबराय की कृति "मेरी असफलताएँ" को संस्मरणात्मक निबन्ध की कोटि में रखा जा सकता है। हिन्दी के अन्य अनेक लेखकों ने भी अच्छे संस्मरण लिखे हैं।
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संस्मरण की पूरी जानकारी
संस्मरण के लेखक के लिए यह नितांत आवश्यक है कि लेखक ने उस व्यक्ति या वस्तु का साक्षात्कार किया हो जिसका वह संस्मरण लिख रहा है। वह अपने समय के इतिहास को लिखना चाह रहा है परंतु इतिहासकार की भांति वह विवरण प्रस्तुत नहीं करता।
इतिहासकार के वस्तुपरक दृष्टिकोण से वह बिल्कुल अलग है। संस्मरण में जीवन के कुछ महत्वपूर्ण क्षणों या घटनाओं की स्मृति पर आधारित रोचक अभिव्यक्ति होती है संस्मरण यथार्थ जीवन से संबंधित संक्षिप्त रोचक चित्रात्मक भावुकतापूर्ण लेखक के व्यक्तित्व के आभा से पूर्ण प्रभाव पूर्ण शैली में लिखित घटना संस्मरण कहलाती है।
संस्मरण में मुख्यतः बीती हुई बातें याद की जाती है तथा उसमे भाषात्मक्ता अधिक रहती है इसमें लेखक ‘ रेखाचित्रकार ‘ की भांति तत्व निर्लिप्त नहीं रहता। यदि संस्मरण लेखक अपने विषय में लिखता है तो वह रचनात्मक आत्मकथा के अधिक निकट होती है , यदि वह अन्य व्यक्तियों के संबंध में लिखता है तो वह जीवनी के निकट होती है।
इसलिए संस्मरण के लेखक को अपने लेख के प्रति सचेत रहना आवश्यक है।
Explanation-
हिंदी साहित्य के क्षेत्र में संस्मरण आधुनिक काल की विधा है।
हिंदी संस्मरण को विकास की दिशा में बढ़ाने वाले प्रमुख साहित्यकारों में उल्लेखनीय नाम है –
रामवृक्ष बेनीपुरी – ” माटी की मूरतें ” , ” मील के पत्थर “।
देवेंद्र सत्यार्थी जी – ” क्या गोरी क्या सांवरी ” तथा ” रेखाएं बोल उठी। “
कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर – ” भूले हुए चेहरे ” , तथा ” माटी हो गई सोना। “