Apni kisi romanchak yatra par kavita.
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Hello dear good evening......
कांधे पर लाद..............
अपना घर...............
इक और आंगन की तलाश................
फ़िर,चल दिये हम................
चौड़ी होती सडको...............
अधाधुंध उगती इमारतो..............
के नीचे,..................
दब जाती है..................
हमारी छत,..................
बिला जाता है................
तुलसी का बिरवा,................
सूख जाती है...................
वह इकलौती.....................
गुलाब की टहनी...............
हर बार......................
नये सिरे से बेघर होने का दर्द.................
फ़ांस की तरह कसकता है...................
पर...............
कही दूर..............
धरती का एक टुकड़ा..................
हमारा आंगन होने की.................
प्रतीक्षा करता है......................
hope help u
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अपना घर...............
इक और आंगन की तलाश................
फ़िर,चल दिये हम................
चौड़ी होती सडको...............
अधाधुंध उगती इमारतो..............
के नीचे,..................
दब जाती है..................
हमारी छत,..................
बिला जाता है................
तुलसी का बिरवा,................
सूख जाती है...................
वह इकलौती.....................
गुलाब की टहनी...............
हर बार......................
नये सिरे से बेघर होने का दर्द.................
फ़ांस की तरह कसकता है...................
पर...............
कही दूर..............
धरती का एक टुकड़ा..................
हमारा आंगन होने की.................
प्रतीक्षा करता है......................
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