apni rachna hindustan samachar patra me chapwane ke liye sampadak ko Patra likhiye
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हिंदुस्तान समाचार
पत्र
कानपुर
विषय-- अपनी रचना के प्रकाशन हेतु।
महोदय,
आज भी हमारे समाज में बेटियां सुरक्षित नहीं है। बेटियां हर क्षेत्र में आगे है फिर भी उनको कोख में मगर दिया जा रहा है। रेप के किस्से हर दिन टी.वी. की हेडलाइन पर होती है। सुरक्षा के नाम पर किसी भी उम्र की लड़कियां सुरक्षित नहीं है।
इन सब पर मैंने एक लेख लिखा है और आपकी पत्रिका पूरे कानपुर में सबसे अधिक पढ़ी जाती है। इसलिए मैं अपना लेख प्रकाशित करवाना चाहता हूं। ताकि लोगों में जागरूकता फैले और लोग आवाज उठाना सीखे।
कृपया मेरी लेख को प्रकाशित करें। मैं पत्र के साथ लेख भी भेज रहा हूं।
मनप्रीत कौर
गोमतीनगर निवासी।
सेवा में,
हिन्दुस्तान समाचार पत्र
कानपुर
विषय - अपनी रचना के प्रकाशन हेतु
महोदय,
नारी के प्रति लोगों के मन में जो कुंठा है, उसपे प्रश्चिह्न् से भरी ये मेरी कविता " नारी हूं मैं" लिखा है, आपके लोकप्रिय एवम् प्रतिष्ठित समाचार पत्र में अपनी मौलिक रचना को भेज रही हूं
कृपया उसे प्रकाशित कर, नारी की प्रति कुंठा रखने वाले के, शब्दों पर विराम लगाए....
आभार
*नारी हूं मैं*
माली की तरह मधुबन (घर) को सिंचती हूं
बहा कर खून,पसीना एक संसार बनाती हूं
चलती थकती तो भी मैं हार नहीं मानती हूं
नारी हूं मैं,, अपना घर स्वयं बनाती हूं।।
परिवार को सुरक्षित रखने की कोशिश करती हूं
मां पिता के स्वाभिमान, संस्कार को ठेस ना पहुंचे
पूरी निष्ठा से अपना हर धर्म निभाती हूं
नारी हूं मैं,, हर रिश्तों को ईमानदारी से निभाती हूं।।
पिता की सर की पगड़ी हूं तो,, मां के हृदय की धड़कन हूं,
भाई का अभिमान हूं मैं,, पति का स्वाभिमान हूं
कहलाती हूं दो घर की रानी,, कभी न करूं अपनी मनमानी
नारी हूं मैं,, बखूबी जानती होती कैसे घर की निगरानी।।
सबके मन का विश्वास बनूं मैं, अपने घर की लाज रखूं
खुद को तोल के तराजू पर, पति के गृहलक्ष्मी का मान रखूं
इसलिए तो ढलते नहीं हम ,, जबतक काया में प्राण रहे
नारी हूं मैं,, सदैव कोशिश करती मैं कभी न किसी की हाय बनूं।।
हर क्षेत्र में आगे बढ़ कर नारी को एक रूप दिया
कर्म भूमि पर चलकर हमने हर लिंग को समरूप किया
हर रणभूमि पर चलकर एक नया इतिहास रचा
नारी हूं मैं, सदैव ही अपनी पहचान को नाम दिया।।
स्वरचित मौलिक रचना
नेहा यादव
लखनऊ उत्तर प्रदेश