apni Suraksha Apne hath pe ek kahani
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देश की राजधानी दिल्ली लगातार महिलाओं के लिए असुरक्षित होती जा रही है। सरकारी और गैर-सरकारी संगठन महिलाओं को सुरक्षित बनाने के लिए आत्म रक्षा के अनेक उपाय बताते हैं। इस विषय में कुछ किताबें भी लिखी गई हैं। उन्हीं के आधार पर हम यहां राजधानी की महिलाओं को सुरक्षित बनाने के कुछ टिप्स दे रहे हैं। रितु मिश्रा की रिपोर्ट।
अगर हम दिल्ली शहर की समस्याओं की बात करें तो औरतों की सुरक्षा का मसला निश्चित ही सबसे ऊपर आता है। इस बात से शायद ही किसी को इनकार हो कि औरतों के लिए यह शहर सुरक्षित नहीं है। जहां दिन में एक ओर लड़कियां व औरतें छेड़छाड़ व यौन हिंसा का शिकार बनती हैं, वहीं अंधेरा होते ही बात बलात्कार तक पहुंच जाती है। यौन हिंसा का शिकार होने वाली औरतों की उम्र, कपड़े, समय, व्यवसाय किसी से कोई फर्क नहीं पड़ता। छोटी-छोटी बच्चियों से लेकर बुजुर्ग महिलाओं तक सभी घर व बाहर दोनों जगह यौन हिंसा की शिकार बनती हैं।
सुरक्षा एजेंसी चला रहे सुनील दुग्गल ने औरतों की सुरक्षा के लिए एक किताब लिखी है- वुमन 24 सिक्योर। हिंदी में इस किताब का अनुवाद ‘और महिला सदा सुरक्षित’ के नाम से हुआ है। सुनील बताते हैं कि इस किताब को लिखने का खयाल उनके अपने अनुभव से निकला है। एक बार उनकी बहन देर रात अपनी गाड़ी में कहीं से लौट रही थी। अचानक उसे लगा कि कोई उसका पीछा कर रहा है। वह घबरा गई और उसने सुनील को फोन किया। तब सुनील ने उसे सलाह दी कि वह अपनी गाड़ी किसी नजदीकी होटल या पुलिस स्टेशन में ले जाए और मदद ले। उनकी बहन के साथ हुई इस घटना ने उन्हें यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि उनकी बहन की तरह ही न जाने कितनी लड़कियां रोज ऐसे कटु अनुभवों से गुजरती होंगी। और उन्हें नहीं मालूम होता कि ऐसी स्थिति में उन्हें क्या करना है। तब सुनील ने तय किया कि वे औरतों को सुरक्षित बनाने के लिए एक किताब लिखेंगे। ‘और महिला सदा सुरक्षित’ वही किताब है। औरतों पर होने वाली हिंसा के विषय में कई कदम उठाए जा रहे हैं। दिल्ली सरकार औरतों पर होने वाली हिंसा को दूर करना चाहती है। राज्य की महिला विकास मंत्री ने हाल में ऐसी मंशा जाहिर की है। औरतों के लिए दिल्ली को सुरक्षित करने हेतु उन्होंने यूनीफेम व यूएन हेबिटेट और महिला संस्था जागोरी के साथ मिलकर एक योजना बनाई है। इस योजना के तहत दिल्ली पुलिस, ट्रांसपोर्ट विभाग, शहरी योजना विभाग व अन्य सरकारी महकमों को यह जिम्मेदारी दी जाएगी कि वह महिलाओं से छेड़छाड़ संबंधी शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई करे।
दिल्ली पुलिस भी समय-समय पर औरतों के लिए आत्म सुरक्षा शिविरों का आयोजन करती रहती है। पर हम सभी जानते हैं कि तमाम सरकारी व गैर-सरकारी अभियानों व कार्रवाइयों के बावजूद औरतों को आज की स्थिति में सुरक्षित माहौल नहीं मिल पाया है। ऐसी स्थिति में अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी कुछ हद तक हमें भी उठानी होगी। शहर में औरतों के साथ हिंसा होती है। यह सोच कर हम घर में बंद तो हो नहीं सकते? नौकरी, पढ़ाई और अन्य कामों व घूमने-फिरने के लिए घर से निकलना तो होगा। जरूरत है तो बस कुछ जरूरी बातों को ध्यान में रखने की।