अर्जुन बोले- हे कृष्ण! यहाँ मैं युद्ध के अभिलाषी स्वजनों को ही देखता हूँ। मेरे अंग शिथिल हुए हो रहे हैं और मुख सूख रहा है और मेरा शरीर काँप रहा है और रोएं खड़े हो रहे है॥ ऐसा गीता में किस श्लोक में कहा गया है
tell which श्लोक
अध्याय 1 - श्लोक 26
अध्याय 1 - श्लोक 23
अध्याय 1 - श्लोक 18
अध्याय 1 - श्लोक 29
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इसका सही विकल्प होगा...
अध्याय 1 श्लोक 29
स्पष्टीकरण :
उपरोक्त कथन अर्जुन ने श्रीमद्भगवतगीता के प्रथम अध्याय के श्लोक संख्या 29 में व्यक्त किया है। अर्जुन बोलते है....
सीदन्ति मम गात्राणि मुखं च परिशुष्यति।
वेपथुश्च शरीरे मे रोमहर्षश्च जायते॥१-२९॥
अर्थात हे हे कृष्ण! यहाँ मैं युद्ध के अभिलाषी स्वजनों को ही देखता हूँ। मेरे अंग शिथिल हुए हो रहे हैं और मुख सूख रहा है और मेरे शरीर में मेरा शरीर काँप रहा है और रोएं खड़े हो रहे है।
यह प्रसंग उस समय का है, जब युद्ध के लिए तत्पर कौरवों और पांडवों की सेना कुरुक्षेत्र के मैदान आमने सामने खड़ी थी।
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