Hindi, asked by dl1566349, 4 months ago

अर्थ पाप के बल से,
और भोगता उसे दूसरा
भाग्यवाद के छल से।
जो कुछ न्यस्त प्रकृति में है,
वह मनुण मात्र का धन है,
धर्मराज उसके कण
कण का
अधिकारी जन- जन है।।
प्रश्न:-
11. मनुष्य अर्थ कैसे संचित करता है?
12. संचित किये गए धन - दौलत को कौन भोगता है?
13. मनुज मात्र का धन क्या है?
14. कण-कण का अधिकारी कौन है?
15. यह कवितांश के कवि का नाम क्या है?
(ई) निम्नलिखित अपठित पद्यांश को पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए। (5X
अब भी
कुछ
लोगों के दिल में, नफ़रत अधिक, प्यार है कम
हम जब होंगे बड़े घृणा का, नाम मिटाकर लेंगे दम।
हिंसा का विषमय प्रवाह में, कब तक और बहेगा देश।
जब हम होंगे बड़े देखना, नहीं रहेगा यह परिवेश।
भ्रष्टाचार जमाखोरी की आदत बहुत पुरानी है,
ये कुरीतियाँ मिटा हमें तो नई चेतना लानी है।
प्रश्न:-
16. कवि कौन सा परिवेश बदलना चाह रहा है?
17. किसकी
तुलना
' विष ' के समान की गई है?
18. कवि की अवस्था क्या है?
19. पंक्तियों में किसकी अधिकता और किसकी कमी दर्शाया गयी है?
20. कौनसी आदत बहुत पुरानी है?
II. निम्न लिखित प्रश्नों के उत्तर (3-4) वाक्यों में लिखिए।
(3
21. लेखक भगवतशरण उपाध्याय के बारे में लिखिए।
22. लोकगीत और शास्त्रीय संगीत में क्या अंतर है?
23. गुजरात का एक प्रकार का दलीय गायन गरबा के बारे में लिखिए।
III. निम्न लिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर (8 - 10) वाक्यों में लिखिए।
24. ' लोकगीत '' पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
25. लोकगीत में मुख्यतःग्रामीण जनता की भावनाएँ हैं। अपने शब्दों में लिखिए।​

Answers

Answered by mohammadkaifpathan78
1

Answer:

jdkdndjdjfjorjriirijroekhaobdif

Similar questions