Geography, asked by mukeshdudiya556055, 5 hours ago

अर्थशास्त्र में पहला पाठ के प्रश्न उत्तर​

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Answered by vyoma2188
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Answer:

प्रश्न 1.  खेती की आधुनिक विधियों के लिए ऐसे अधिक आगतों की आवश्यकता होती है, जिन्हें उधोगों में विनिर्मित किया जाता है, क्या आप सहमत हैं ?

उत्तर.  हाँ, हम सहमत है कि आधुनिक कृषि तकनीकी के लिये अधिक साधनों की जरूरत होती है, जो उद्दोगों में बनाये जाते हैं। ज्यादातर आधुनिक कृषि आगतों जैसे – नलकूप, रसायनिक उर्वरक, कीटनाशक, आदि का उत्पादन उद्योगों में किया जाता हैं। इससे यह पता चलता है कि कृषि एवं उद्योग एक – दूसरे पर सामूहिक रूप से निर्भर है । दोनों एक दूसरे के सहायक एवं पूरक हैं। यदि एक में विकास होता है तो दूसरा उससे अधिक पीछे नही रहेगा।

प्रश्न 2. पालमपुर में बिजली के प्रसार ने किसानों की किस प्रकार मदद की ?

उत्तर. पालमपुर में बिजली के प्रसार ने किसानों की निम्नलिखित प्रकार से मदद की :

1) विद्युत प्रकाश, पंखे, प्रेस एवं मशीनों ने किसानों के घरेलू कार्यों में मदद की।

2) सिंचाई की उपयुक्त विधि नलकूपों एवं पम्पिंग सेट को बिजली द्वारा चलाया जाता है।

3) कृषि उपकरण , जैसे हार्वेस्टर , थ्रेशर आदि ने किसानों की सहायता की है।

4) बिजली का उपयोग गाँव में प्रकाश के लिए भी किया गया।

प्रश्न 3. क्या सिंचित क्षेत्र को बढ़ाना महत्वपूर्ण है ? क्यों ?

उत्तर. सिंचित क्षेत्र को बढ़ाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके महत्व के कारण निम्नलिखित है :  

1) पौधों का जन्म , उनका विकास , फलना और फूलना मिट्टी , जल और हवा के कुशल संयोग पर निर्भर करता है।

2) यदि सिंचाई की असुविधा के कारण जल प्राप्त नहीं होता तो फसल सुख जाएगी यदि लगातार जल की कमी रहे तो अकाल का भय हो जाता है।

3) सिंचाई की सुविधा प्राप्त भूमि के टुकड़े में कृषि उत्पादन असिंचित भूमि के टुकड़े के उत्पादन से अधिक होता है।

4) कृषि उत्पादन में वृद्धि के लिए सिंचित क्षेत्र महत्वपूर्ण ही नही बल्कि आवश्यक है।

प्रश्न 4. अपने क्षेत्र में दो श्रमिकों से बात कीजिए। खेतों में काम करने वाले या विनिर्माण कार्य में लगे मजदूरों में से किसी को चुने। उन्हें कितनी मज़दूरी मिलती है ? क्या उन्हें नकद पैसा मिलता है या वस्तु-रूप में ? क्या उन्हें नियमित रूप से काम मिलता है ? क्या वे कर्ज़ में है ?

उत्तर. खेतों में काम करने वाले मजदूरों की स्थिति:

खेतों में काम करने वाले श्रमिकों को लगभग 35 रुपये प्रतिदिन मज़दूरी प्राप्त होती है। मज़दूरी की राशि कुछ श्रमिकों को पूणरूप से नकद और कुछ को पूणरूप से अनाज के रूप एवं अन्य को दोनों पद्धतियों द्वारा अर्थात कुछ नकद और कुछ अनाज के रूप में प्रदान किया जाता है।

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