article on preshram ka mahatv in 150 words
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परिश्रम अर्थात मेहनत, कर्म एवं क्षम के बिना कोई भी काम संभव नहीं है। जीवन में किसी भी काम को करने के लिए परिश्रम की आवश्यकता होती है और परिश्रमी एवं स्वावलंबी व्यक्ति ही अपने जीवन में सफलता हासिल कर पाता है, लेकिन इसके लिए परिश्रम सही दिशा में और सही तरीके से किया जाना बेहद जरूरी है।
वहीं जो लोग सिर्फ किसी काम करने की फिक्र करते हैं और उसके बारे में सोचते रहते हैं, लेकिन उसके लिए मेहनत अथवा प्रयास नहीं करते, ऐसे लोग कभी अपनी जिंदगी में सफल नहीं हो पाते हैं –
वहीं संस्कृत के इस श्लोक में भी परिश्रम के महत्व को बताया गया है –
“आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः!
नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति!!”
जिसका अर्थ है, आलस्य, इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन होता है,जबकि परिश्रम मनुष्य का सबसे बड़ा दोस्त होता है क्योंकि जो लोग मेहनत करते हैं वे कभी दुखी नहीं रहते और अपने जीवन के लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर लेते हैं।
जो लोग परिश्रम नहीं करते और सफलता नहीं प्राप्त होने पर अपने भाग्य को कोसते रहते हैं, ऐसे लोग हमेशा ही दुखी रहते हैं और अपने जीवन में तमाम कठिनाइयों का सामना करते हैं क्योंकि भाग्य की वजह से मनुष्य को सफलता तो मिल सकती है, लेकिन यह स्थाई नहीं होती, जबकि परिश्रम कर हासिल की गई सफलता स्थाई होती है और मेहनत के बाद सफलता हासिल करने की खुशी और इसका महत्व भी अलग होता है।
हम सभी को अपने जिंदगी में परिश्रम अथवा कर्म के महत्व को समझना चाहिए, क्योंकि कर्म करके ही हम अपने जीवन में सुखी रह सकते हैं और अपने सपनों को हकीकत में बदल सकते हैं।
वहीं ईमानदार, परिश्रमी व्यक्ति ही न सिर्फ अपने कर्म से अपने भाग्य को बदल लेता है और सफलता हासिल करता है बल्कि वह अपने परिवार और देश के विकास की उन्नति में भी सहायता करता है।