Hindi, asked by bhumika043237, 18 days ago

असाइनमेंट दिए गए कहानी को पढ़कर कहानी में से मुहावरे ढूंढ कर उसके अर्थ लिखिए और वाक्यों में प्रयोग कीजिए राम और श्याम दो मित्र थे। किसी समय दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे। मगर दोनों की आर्थिक स्थिति में जमीन-आसमान का फर्क था। राम के पिता एक बड़े व्यापारी थे और उनकी बदौलत राम बिना कुछ किए ही मालामाल हो गया। कहावत है कि पैसा ही पैसे को खींचता है। राम ने भी जब पिता का व्यवसाय सँभाला तो उसकी संपत्ति दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ने लगी। वहीं दूसरी ओर श्याम के पिता अत्यंत गरीब थे। स्कूल से मिले वजीफे के सहारे श्याम ने जैसे-तैसे स्कूल की पढ़ाई पूरी की। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के लिए श्याम को आकाश-पाताल एक करना पड़ा। मदद माँगने पर सभी रिश्ते नातेदारों ने उसे अँगूठा दिखा दिया। अंत में उसने ट्‍यूशन ‍लेने तथा अखबार बाँटने जैसा पार्टटाइम काम किया एवं इस तरह लोहे के चने चबाते हुए कॉलेज की फीस की व्यवस्था की एवं पूरे विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त कर अपनी धाक जमा दी। राम भी पास होकर स्नातक हो गया और उसके घर में घी के दिये जलाए गए। मगर श्याम के घर ऊँट के मुँह में जीरे के बराबर तेल भी नहीं था। अत: उसने तेते पाँव पसारिये, जेती लांबी सौर वाली लोकोक्ति पर अमल करते हुए फिल्मी गीत पर डांस ही कर लिया। स्नातक होने के बाद श्याम ने नौकरी पाने के लिए दस जगह की खाक छानी। मगर कहीं भी उसकी दाल नहीं गली। अंतत: उसने बैंक से लोन लेकर एक पावरलूम मशीन डाल ली। शुरू में इतनी कठिनाइयाँ आई मानो सिर मुँडाते ही ओले पड़ गए हों। मगर धीरे-धीरे उसका काम चल निकला जो लोग गरीबी के कारण उसकी नाक में दम किए रहते थे, उसे नीचा दिखाते रहते थे। उन्होंने भी उसकी काबिलियत का लोहा मान लिया। राम का एक बेटा अमित था जो उसकी आँखों का तारा था। श्याम का भी एक बेटा सुमित था जो कि उसके कलेजे का टुकड़ा था। संयोग से दोनों मित्रों के ये पुत्र एक ही स्कूल में पढ़ते थे। उनकी मित्रता देखकर लोग दंग रह जाते थे कि कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगू तेली। मगर मित्रता अमीरी-गरीबी नहीं देखती। एक दिन अमित के मामा का फोन आया। उन्होंने उसे घूमने के लिए शहर बुलाया था। अमित ने सुमित को भी अपने साथ चलने के लिए तैयार कर लिया। नियत दिन अमित के पिता राम अमित व सुमित को रेलवे स्टेशन छोड़ने आए। जिसके पास बिना मेहनत का ज्यादा पैसा होता है उसकी धन कमाने और बचाने की लालसा बढ़ती ही जाती है। अमित के पिता ने भी दोनों मित्रों को बिना टिकट रेल में बैठाकर समझाया कि किस तरह शहर पहुँचकर उन्हें स्टेशन के एक छोर ‍पर स्थित टूटी हुई ग्रिल के रास्ते से बाहर निकलना है कि कट चेकर से बचा जा सके। अमित के पिता के जाते ही उसने अमित को खूब खरी-खोटी सुनाई। उसे उसके पिता के दिए संस्कारों ने बिना टिकट यात्रा करने की अनुमति नहीं दी। दोनों मित्रों ने अगला कदम तय किया और भागकर टिकट खिड़की पहुँच गए। वहाँ यात्रियों की इतनी लंबी कतार लगी थी मानो कि एक अनार सौ बीमार जैसे-तैसे टिकट लेकर वे रेल में सवार हुए। थोड़ी ही देर बाद एक व्यक्ति ने उनसे पूछा कि बेटा मिठाई खाओगे। मिठाई देखकर सुमित के मुँह में पानी आ गया। उसने हाथ आगे बढ़ाया था कि अमित ने उसका हाथ खींच लिया। फिर धीरे से कानाफूसी करते हुए समझाया कि यात्रा में किसी भी अजनबी से लेकर कोई चीज खाना-पीना नहीं चाहिए। ऐसे लोग बदमाश हो सकते हैं जो अपना जाल बिछाकर सहय‍ात्रियों को बेहोश करके लूट लेते हैं। ऐसे लोगों के मुँह में राम तथा बगल में छुरी होती है। शहर पहुँचने के बाद दोनों मित्र स्टेशन के बाहर सिर उठाकर पूरी निडरता के साथ आए क्योंकि जेब में टिकट जो रखा था। बाद में इस घटना का पता चलने पर अमित के पिता शर्म से पानी-पानी हो गए। वहीं सुमित के पिता को उस पर बहुत गर्व हुआ। किसी ने ठीक ही कहा है कि साँच को आँच नहीं। अर्थात सच्चे मनुष्य को कोई हानि नहीं पहुँचा सकता।​

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Answered by sunprince0000
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(1) सादृश्य पर आधारित मुहावरे – बहुत से मुहावरे सादृश्य या समानता पर आधारित होते हैं।

जैसे – चूड़ियाँ पहनना, दाल न गलना, सोने पर सुहागा, कुंदन-सा चमकना, पापड़ बेलना आदि।

(2) शारीरिक अंगों पर आधारित मुहावरे – हिंदी भाषा के अंतर्गत इस वर्ग में बहुत मुहावरे मिलते हैं।

जैसे – अंग-अंग ढीला होना, आँखें चुराना, अँगूठा दिखाना, आँखों से गिरना, सिर हिलाना, उँगली उठाना, छाती पर साँप लोटना, तलवे चाटना, दाँत खट्टे करना, नाक रगड़ना, पीठ दिखाना, मुँह काला करना आदि।

(3) असंभव स्थितियों पर आधारित मुहावरे – इस तरह के मुहावरों में वाच्यार्थ के स्तर पर इस तरह की स्थितियाँ दिखाई देती हैं जो असंभव प्रतीत होती हैं।

जैसे – पानी में आग लगाना, पत्थर का कलेजा होना, जमीन आसमान एक करना, सिर पर पाँव रखकर भागना, हथेली पर सरसों जमाना, हवाई किले बनाना, दिन में तारे दिखाई देना आदि।

(4) कथाओं पर आधारित मुहावरे – कुछ मुहावरों का जन्म लोक में प्रचलित कुछ कथा-कहानियों से होता हैं।

जैसे – टेढ़ी खीर होना, एक और एक ग्यारह होना, हाथों-हाथ बिक जाना, साँप को दूध पिलाना, रँगा सियार होना, दुम दबाकर भागना, काठ में पाँव देना आदि।

(5) प्रतीकों पर आधारित मुहावरे – कुछ मुहावरे प्रतीकों पर आधारित होते हैं।

जैसे – एक आँख से देखना, एक ही लकड़ी से हाँकना, एक ही थैले के चट्टे-बट्टे होना, तीनों मुहावरों में प्रयुक्त ‘एक’ शब्द ‘समानता’ का प्रतीक है।

इसी तरह से डेढ़ पसली का होना, ढाई चावल की खीर पकाना, ढाई दिन की बादशाहत होना, में डेढ़ तथा ढाई शब्द ‘नगण्यता’ के प्रतीक है।

(6) घटनाओं पर आधारित मुहावरे – कुछ मुहावरों के मूल में कोई घटना भी रहती है।

जैसे – काँटा निकालना, काँव-काँव करना, ऊपर की आमदनी, गड़े मुर्दे उखाड़ना आदि।

उपर्युक्त भेदों के अलावा मुहावरों का वर्गीकरण स्रोत के आधार पर भी किया जा सकता है। हिंदी में कुछ मुहावरे संस्कृत से आए हैं, तो कुछ अरबी-फारसी से आए हैं। इसके अतिरिक्त मुहावरों की विषयवस्तु क्या है, इस आधार पर भी उनका वर्गीकरण किया जा सकता है।

जैसे- स्वास्थ्य विषयक, युद्ध विषयक आदि। कुछ मुहावरों का वर्गीकरण किसी क्षेत्र विशेष के आधार पर भी किया जा सकता है।

जैसे- क्रीडाक्षेत्र में प्रयुक्त होने वाले मुहावरे, सेना के क्षेत्र में प्रयुक्त होने वाले मुहावरे आदि।

यहाँ पर कुछ प्रसिद्ध मुहावरे, उनके अर्थ और वाक्य में प्रयोग सहित दिए जा रहे है –

List of Idioms with meaning and example sentences – अर्थ और उदाहरण वाक्यों के साथ मुहावरों की सूची

(अ से शुरू होने वाले मुहावरे)

1) अक्ल पर पत्थर पड़ना – बुद्धि भष्ट होना

वाक्य – विद्वान और वीर होकर भी रावण की अक्ल पर पत्थर ही पड़ गया था कि उसने माता सीता का अपहरण किया।

2) अंक भरना – स्नेह से लिपटा लेना

वाक्य – माँ ने बेटी को देखते ही अंक भर लिया।

3) अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना – स्वयं अपनी प्रशंसा करना

वाक्य – अच्छे आदमियों को अपने मुहँ मियाँ मिट्ठू बनना शोभा नहीं देता।

4) अक्ल का चरने जाना – समझ का अभाव होना

वाक्य – कभी-कभी राम को बात समझ नहीं आती, ऐसा लगता है उसकी अक्ल चरने गई हो।

5) अपने पैरों पर खड़ा होना – स्वालंबी होना

वाक्य – युवकों को अपने पैरों पर खड़े होने पर ही विवाह करना चाहिए।

6) अक्ल का दुश्मन – मूर्ख

वाक्य – राहुल अपने पिता की बात का सही से जवाब नहीं देता है, लगता है आजकल राहुल अक्ल के दुश्मन हो गया है।

7) अपना उल्लू सीधा करना – मतलब निकालना

वाक्य – आजकल के नेता अपना उल्लू सीधा करने के लिए ही लोगों को भड़काते है।

8) अंगारों पर लेटना – डाह होना, दुःख सहना

वाक्य – वह उसकी तरक्की देखते ही अंगारों पर लोटने लगा।

9) अँचरा पसारना – माँगना, याचना करना

वाक्य – हे भगवान्, अपने बीमार बेटे के लिए आपके आगे अँचरा पसारती हूँ। उसे भला-चंगा कर दो।

10) अन्धा बनना – आगे-पीछे कुछ न देखना

वाक्य – धर्म से प्रेम करो, पर उसके पीछे अन्धा बनने से तो दुनिया नहीं चलती।

11) अन्धा होना – विवेक भ्रष्ट होना

वाक्य – आज कल पैसा ही सब कुछ है क्योंकि पैसा के मोह में सब अंधे हो जाते हैं।

12) अन्धेरखाता – अन्याय

वाक्य – मुँहमाँगा दो, फिर भी चीज खराब। यह कैसा अन्धेरखाता है।

13) अढाई दिन की हुकूमत – कुछ दिनों की शानो-शौकत

वाक्य – जनाब, जरा होशियारी से काम लें। यह अढाई दिन की हुकूमत जाती रहेगी।

14) अपना-सा मुँह लेकर रह जाना – शर्मिन्दा होना

वाक्य – बड़े भाई ने छोटे भाई को ऐसी चुभती बात कही कि वह अपना-सा मुँह लिए रह गया।

15) अपनी खिचड़ी अलग पकाना – स्वार्थी होना, अलग रहना

वाक्य – यदि सभी अपनी खिचड़ी अलग पकाने लगें, तो देश और समाज की उन्नति होने से रही।

16) अब-तब करना – बहाना करना

वाक्य – कोई भी चीज माँगो, वह अब-तब करना शुरू कर देगा।

17) अंग-अंग ढीला होना – अत्यधिक थक जाना

वाक्य – विवाह के अवसर पर दिन भर मेहमानों के स्वागत में लगे रहने से मेरा अंग-अंग ढीला हो रहा हैं।

18) अंगारे उगलना – कठोर और कड़वी बातें कहना

वाक्य – मित्र! अवश्य कोई बात होगी, बिना बात कोई क्यों अंगारे उगलेगा।

19) अंगारों पर लोटना – ईर्ष्या से व्याकुल होना

वाक्य – मेरे सुख को देखकर रामू अंगारों पर लोटता हैं।

20) अँगुली उठाना – किसी के चरित्र या ईमानदारी पर संदेह व्यक्त करना

वाक्य – हमें ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए, जिससे कोई हम पर अँगुली उठाए।

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