असफलता से सफलता की शिक्षा मिलती है।इस उक्ति कोआधार बना कर 100-120 शब्दों में 1 कहानी लिखिए।
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अल्बर्ट आइंस्टीन
महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन को शुरुआत में कई सारी असफलताएं झेलनी पड़ीं। इन्हें दुनिया सापेक्षता के सिद्धांत और द्रव्यमान-ऊर्जा समीकरण (E = mc2) की खोज के लिए जानती है। लेकिन इस महान खोज से पहले दुनिया इन्हें एक फेल्योर समझती थी। इन्हें साल 1921 में फिजिक्स के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। साल 1999 में टाइम पत्रिका ने इन्हें शताब्दी-पुरूष घोषित किया था।
लेकिन आइंस्टीन का बचपन में काफी मजाक उड़ा करता था क्योंकि ये पढ़ने में तेज नहीं थे। बचपन में इनकी गिनती कमजोर विद्यार्थियों में होती थी। पढ़ने में वो इतने कमजोर थे कि उनके शिक्षक उन्हें अक्सर स्कूल छोड़ देने की सलाह दिया करते थे। और यही बच्चा आगे चलकर फिजिक्स का महान वैज्ञानिक आइंस्टीन बना।
घर-घर जाकर बर्तन मांजकर अपना और बेटे का गुजारा करने वाली मां को एक दिन बेटे ने टीचर का दिया हुआ एक पत्र थमाते हुए कहा, अध्यापक ने यह पत्र आपको देने के लिए कहा है। उन्होंने कहा है, तुम इस पत्र को अपनी मां को दे देना। उसकी मां ने जैसे ही वह पत्र पढ़ा वह मन ही मन मुस्कुराने लगी। मां को मुस्कुराता देख बेटे ने खुशी का कारण पूछा, जिस पर मां ने बड़े प्यार से बेटे के सिर पर अपनी ममता का हाथ फेरते हुए कहा, बेटा इसमें लिखा है कि आपका बेटा कक्षा में सबसे होशियार है। हमारे पास ऐसे अध्यापक नहीं हैं, जो आपके बच्चे को पढ़ा सकें। इसलिए आप इसका एडमिशन किसी और स्कूल में करवा दीजिए। लड़का यह सुनकर बहुत खुश हो गया और मन लगाकर पढ़ने लगा।
मां ने बेटे का एडमिशन दूसरे स्कूल में करवा दिया। उस बच्चे ने खूब मन लगाकर पढ़ाई की और आगे चलकर अपनी मेहनत के दम पर महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन बने।
वक्त गुजरता गया और एक दिन महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन की मां का भी निधन हो गया। मां की मत्यु के बाद जब एक दिन आइंस्टीन ने मां की अलमारी खोली तो पाया उसमें उनके टीचर का लिखा हुआ वहीं पत्र था, जो उन्होंने कभी उस छोटे से बच्चे को उसकी मां को देने के लिए कहा था। आइंस्टीन ने वह पत्र खोला और पढ़ने लगे, आपको ये बताते हुए हमे बहुत दुख है कि आपका बेटा पढ़ाई-लिखाई में बहुत ही कमजोर है। जिस तरह से इसकी उम्र बढ़ रही है, उस तरह से इसकी बुद्धि का विकास नहीं हो रहा है। इसलिए हम इसे स्कूल से निकाल रहे हैं। आप इसका एडमिशन किसी दूसरे स्कूल में करवा दीजिये। नहीं तो घर में इसे पढ़ाइए।
जिस प्रकार पत्र पढ़कर आइंस्टीन की मां ने अपने बेटे की सोच बदल दी। ठीक उसी प्रकार आप भी जीवन में मिलने वाली कठिनाईयों का हिम्मत से सामना करते हुए अपनी सोच बदलकर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
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hope it's useful to you