असहयोग आंदोलन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा कर
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heya friends !!
यहाँ आपका उत्तर हैं।
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प्रथम विश्व युद्ध के बाद महात्मा गांधी भारत की राजनीति में सक्रिय रूप से शामिल हुवे उसके नड्डा वे अंग्रेजो के खिलाफ असहयोग आंदोलन संचालित करने का निर्णय लिए ।क्योकि महात्मा गांधी का ऐसा विश्वाश था,की जब हम अंग्रेजो को कोसी तरह से कोई हम सहयोग नहीं देंगे।तब वे अधिक दिन तक टिक नही पाएंगे।ईसलिए महात्मा गांधी अंग्रेजो के खिलाफ असहयोग आंदोलन संचालित किए।इसके लिए इन्होंने सितम्बर 1920 ई° में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव पारित करवाये ,उसके बड्ड जनवरी 1921 ई° में पूरे देश में महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन प्रारम्भ किये ,यह आंदोलन मूलरूप से सत्य और अहिंसा पर आधारीत था ।इस आंदोलन को प्रभावशाली बनाने के लिए स्वदेशी और वहिष्कार आंदोलन के समर्थन में हजारों लोग सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिए ।विद्यार्थी सरकारी स्कूलों नौकरी से इस्तीफा दे दिए ।विद्यार्थी सरकारी स्कूलों और कॉलेजो का बहिष्कार किये, इसतरह पुरे देश में काफी जोर जोर से असहयोग आंदोलन प्रारम्भ हो गया।आंदोलनकारी उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिला अन्तर्गत चौरा-चारि नामक स्थान पर काफी उग्र हो गया ।और एक थाने में आग लगा दी ।जिसमे कई अंग्रेज सिपाही जिन्दा जल गए।इस हिंसक वारदात के बाद 12फरवरी 1922 ई° में महात्मा गांधी असहयोग आंदोलन स्थगित कर दिए।
आशा है ,मदद करेगा।
राजकुमार☺☺☺
@rajukumar☺☺☺
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