असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन की तुलना कीजिए
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दूसरा, जहाँ असहयोग एवं 'निष्क्रिय निषिद्धता' का आह्वान करता है, वहीं 'अवज्ञा' सक्रिय रूप नियमों को तोड़ना है, आदेशों का उल्लंघन करना है। अतः इस रूप में 'अवज्ञा' असहयोग से अधिक 'विद्रोही' क्रिया है। गांधी जी ने 'अवज्ञा' को 'सविनय' करने का निर्देश इस 'विद्रोही' को अहिंसात्मक तरीके से प्रकट करने के लिये ही दिया था।
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