असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन में अंतर स्पष्ट कीजिए
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असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन दोनों ही महात्मा गांधी ने आरंभ किया।
असहयोग आंदोलन 1920 में आरंभ हुआ। गांधीजी के समझ में यह आ गया था कि ब्रिटिश साम्राज्य की नींव भारत में भारतीयों के सहयोग से ही पड़ी है अगर भारतीय उनका सहयोग करना छोड़ दें तो जो ब्रिटिश परेशानी में पड़ जाएंगे। गांधी जी के नेतृत्व में भारतीयों ने बहिष्कार करना शुरू किया। सरकारी स्कूल कॉलेज का बहिष्कार , सरकारी नौकरी का बहिष्कार, विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार ,सरकारी पदवी भी भारतीयों ने त्याग दिए। इसी बीच 1922 में जब चोरी चोरा में एक पुलिस स्टेशन में आग आग लगा दी गई तो महात्मा गांधी ने इस आंदोलन को वापस ले लिया।
सविनय अवज्ञा आंदोलन का आरंभ 1930 में हुआ था। अंग्रेजों ने नामक के उत्पादन पर अपना एकाधिकार कायम कर लिया जब गांधी जी ने नमक कानून को तोड़ने की ठानी वह अपने 78 अनुयायियों के साथ पैदल चलकर साबरमती आश्रम से दांडी पहुंचे और समुद्र के पानी से उन्होंने नमक बनाया और नमक कानून को तोड़ा इसे सविनय अवज्ञा आंदोलन कहते हैं।