असमानेषु न मैत्री युक्ता न च सम्बन्धः श्रेयान् ।
समशीलेषु विभाति मैत्री अभिमतमेतद् विदुषाम्
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असमानेषु न मैत्री युक्ता न च सम्बन्धः श्रेयान् ।
समशीलेषु विभाति मैत्री अभिमतमेतद् विदुषाम्
अर्थ ➲ विद्वानों का कथन है कि असमान व्यक्ति से मित्रता नही करने चाहिये। असमान व्यक्ति से मित्रता वाले संबंध श्रेष्ठ नही बन पाते हैं, और भविष्य में कोई न कोई नुकसान होने की संभावना रहती है, इसलिये सदैव अपने से समान व्यक्ति से मित्रता करनी चाहिये, ताकि मित्रता सदैव कायम रहे।
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