अशिक्षा सभी समस्याओं का मूल 400 शब्द का निबंध
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अशिक्षा का कारण गरीवी ही नही बल्कि अन्य ऐसे और भी कारण मौजूद है हमारे समाज मे जो शिक्षा की राह के बाधक है।आज विश्व मे आधुनिकता का फैलाव इतनी तीव्र गति से हो रहा अगर हम इसके साथ नही चल पा रहे है तो विकास से कोषो दूर हो जायेगे।भारत मे अशिक्षा गरीवी के कारण तो है ही मगर मानसिक रूप से भी हम शिक्षा के प्रति सचेत नही है ।आप स्वयं महसूस करे कि जिस घर मे कोई शिक्षित ही नही है वह अपने बच्चो को शिक्षा के लिते कैसे उत्साहित करेगा ।स्वतः ही उस घर के बच्चो की मानसिकता भी शिक्षा के प्रति उदासीन ही रहेगी ।हम सरकारो को दोषी ठहराकर या गरीबी को आगे रखकर अपने स्वयं के दोषो को छुपा लेने मे कामयाव हो जाते है ।आज आधुनिकता के दौर मे इतना बडा अशिक्षित वर्ग भारत के विकास का अवरोधक बना हुआ है ।आप सभी से भी गुजारिश है कि शिक्षा के क्षैत्र मे अपने आप पास के बच्चो को उत्साहित करे व उनके परिवारजन और उनका शिक्षा से परिचय कराते तभी हम भारत से अशिक्षा का अंत कर सकेगे ।साथ ही हमारी सरकार भी शिक्षा के क्षैत्र मे कुछ बडे बदलाव करे जो कि शिक्षा पाने मे कठिनाईया ना आते और हर वर्ग के बच्चो शिक्षा से अपने जीवन को संवार सके।
शिक्षा का अर्थ शिक्षा रहित होना आज हम आजाद भारत में अशिक्षा एक बहुत बड़ी परेशानी बन गई है जो हमारी कामयाबी में सबसे बड़ी अड़चन बन गई है यह परेशानी गांव के साथ-साथ शहरों में भी बस हुई है गांव के स्कूलों की कमी भी इसकी एक वजह है गांव में स्कूलों में जाने वाले छात्रों की अधिक संख्या और सरकार के 4000 जरिए शिक्षा की जरूरतों को सही ढंग से लागू न करने के सभी शिक्षा की खास वजह है शिक्षा का कारण गरीबी ही नहीं बल्कि अन्य ऐसे और भी कारण मौजूद है जो हमारे समाज में है जो शिक्षा की राह के बाधक हैं आज विश्व मैं आधुनिकता का फैलाव इतनी तीव्र गति से हो रहा है कि अगर हम उसके साथ नहीं चल पा रहे हैं तो विकास से कोसों दूर हो जाएंगे ।किसी भी देश का विशेष नौजवान पीढ़ी के साथ में होता है मगर अगर वह पीढ़ी शिक्षित हो तो सोचकर ही आश्चर्य होता है आने वाला भविष्य कैसा होगा बिना पढ़ाई और योग्यता के व्यक्ति को अशिक्षित कहा जाता है जिससे हम आसान शब्दों में अनपढ़ और अयोग्य भी कह सकते हैं ।भारत में अशिक्षा गरीबी के कारण तो है ही मगर मानसिक रूप से भी इस शिक्षा की तरफ के प्रति सचेत नहीं है आप स्वयं महसूस करें कि जिस घर में कोई शिक्षक ही नहीं है वह अपने बच्चों को शिक्षा के लिए कैसे उत्साहित करेगा ।स्वता ही उस घर के बच्चों की मानसिकता भी शिक्षा के प्रति उदासीन हो रही होगी ।