अश्वत्थामा ने द्रोपदी के पुत्र को क्यों मार डाला
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महाभारत युद्ध समाप्त होने के बाद जब पांडव अपने शिविर में नहीं लौटे तब इस बात का फायदा उठाकर द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने पांडवों के शिविर में आग लगा दी. जिसके चलते पांडव कक्ष में बचे हुए वीर सोते हुए ही मृत्यु को प्राप्त हो गए और द्रौपदी के पांचों पुत्र भी अश्वत्थामा द्वारा लगाई गई आग के कारण मारे गए.
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अश्वत्थामा बिना किसी संदेह के एक शूरवीर था। अपने राजा दुर्योधन की ऐसी दशा देखकर और अपने पिता द्रोणाचार्य की मृत्यु का स्मरण कर अश्वत्थामा अधीर हो गया। पिता की मृत्यु बहुत कष्टपूर्ण होती है
क्या सच में उसने उसके बाद पांडवों के वीरों की हत्या कर दी थी? जी हां ! छुप कर वह पांडवों के शिविर में पहुंचा और घोर कालरात्रि में कृपाचार्य तथा कृतवर्मा की सहायता से पांडवों के बचे हुए वीर महारथियों को मार डाला।
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