Aslam paddti ki shuruaat kaise Hui
Answers
Explanation:
कुछ पाठकों ने इस पर उपहास भी किया है कि मैं शरीअत-क़ानूनों और महिला चिंतन को साथ-साथ कैसे चला रही हूं? भारत ही नहीं पूरी दुनिया में शरीअत क़ानूनों के अंतर्गत मुसलमान समाज पर जो प्रतिबंध लागू होते हैं वे अक्सर चर्चा का विषय बनते हैं. हालिया उदाहरण तालिबान का स्वात घाटी में शरिया-क़ानून का लागू करना एक ज्वलंत मुद्दा बना. भारत की हद तक देखें तो शाह बानो प्रकरण के बाद से लगातार इस मुद्दे पर भारतीय समाज में बहस छिड़ी हुई है. 2005 में इमराना प्रकरण ने फिर इसे केन्द्र में ला खड़ा किया था.
हालत यह है कि बृन्दा करात, सुभाषिनी अली आदि साम्यवादी फ़ेमनिस्ट लीडरों, जिन्होंने नारी-उत्पीड़न व पितृसत्ता के ख़िलाफ़ लगातार आवाज़ उठाई है, के साथ-साथ, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, भारतीय जनता पार्टी जो कि मुसलमान महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार कर, उनके पेट फाड़कर अजन्मे शिशुओं को त्रिशूल की नोक पर टाँग कर विजय-उत्सव मनाते हैं, को भी शरीअत क़ानून व्यवस्था ने घोर चिंता में घेर रखा है.