At nahi rahi hai kavita mei kon sa ras hai??
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‘अट नहीं रही है’ कविता में श्रृंगार रस है।
जहाँ पर काव्य में किसी के सौंदर्य का वर्णन हो चाहे वो नायक-नायिका के सौंदर्य का वर्णन या प्रकृति के सौंदर्य का वर्णन, वहाँ ‘श्रृंगार रस’ होता है।
‘अट नहीं रही है’ कविता जो कि ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ द्वारा लिखी गई है, इस कविता में कवि ने वसंत ऋतु के सौंदर्य का बड़ा ही सुंदर एवं मार्मिक वर्णन किया है। ऋतुओं की रानी वसंत का सौंदर्य प्रकृति में चारों तरफ इस तरह बिखरा है कि सृष्टि उसे संभाल नहीं पा रही। अर्थात ‘अट नहीं रही है’।
यह मनमोहक सौंदर्य प्रकृति में समा नहीं पा रहा है। इस सौंदर्य की छटा निराली ही है। एक बार निगाहें जहां थम जाएं वहां थमी ही रह जाती हैं। वातावरण इतना सुंदर एवं मनमोहक है कि पत्थर भी फूल में बदल जा जाएं। प्रकृति के सौंदर्य की अद्भुत छटा निराली है।
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