अति का भला न बोलना, अति की भली नष"
अति सर्वत्र वर्जयेत्'
उपर्युक्त उन्धरणों के आधार पर जीवन में 'सामंजस्य व
"सुख सपना, बुख बुलबुला", दोनों ही क्षण-भंगुर हैं
'सुख में दुख और दुख में सुख' छिपा रहता है।
उपर्युक्त कथनों के आधार पर कोई कहानी लिखि
हास-अश्रुमय आनन', व्यक्ति हर समय भावों से र
पक है। इस विषय पर अपने किसी एक मित्र को पर
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अति का भला न बोलना, अति की भली नष"
अति सर्वत्र वर्जयेत्'
उपर्युक्त उन्धरणों के आधार पर जीवन में 'सामंजस्य व
"सुख सपना, बुख बुलबुला", दोनों ही क्षण-भंगुर हैं
'सुख में दुख और दुख में सुख' छिपा रहता है।
उपर्युक्त कथनों के आधार पर कोई कहानी लिखि
हास-अश्रुमय आनन', व्यक्ति हर समय भावों से र
पक है। इस विषय पर अपने किसी एक मित्र
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