अति लघु प्रशन
( पाठ धूल )
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लेखक ने इस पंक्ति से व्यंग्य किया है कि हमें धूल भरे हीरे में चमक नहीं दिखाई देती। बल्कि धूल दिखाई देती है। इसका आशय यह है कि हमें ग्रामीण लोगों की स्वाभाविकता और सच्चाई नज़र नहीं आती, उनमें फूहड़ता नजर आती है। ..
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