अत्र प्रधानाचार्य प्रति एकं प्रार्थना-पत्रं लिखितम् अस्ति। मञ्जूषातः समुचितं पदं चित्वा रिक्तस्थानानि
भवान्
IV.
समारोह
पूरयन्तु-
सेवायाम्,
प्रधानाचार्याः
डी.ए.वी. विद्यालयः
प्रियमित्र नरे
चेन्नई नगरम्।
महोदयाः
सविनयं (ii)
अस्ति यत् अहम् (iii)
कक्षायाः छात्रः
अस्मि। संस्कृत-भाषायां (iv)
अतीव रुचिः अस्ति। अहम् प्रतिवर्ष (v)
()
शत-प्रतिशतम् अङ्कान्
प्राप्नोमि। अहम् (vi)
भाषाम् अग्रिम-कक्षायाम् अपि
(vii)
इच्छामि। अतः नवम्यां कक्षायां संस्कृत-पठनाय मह्यम् (viii)
प्रदाय अनुग्रहं कुर्वन्तु (ix)
इति प्रार्थये।
धन्यवादाः।
(x)
शिष्यः
रमेशः
अनुमति, निवेदनम्, भवताम्, मान्याः, मम, एताम् , भवन्तः, पठितुम्, संस्कृते, अष्टम्याः
Answers
Answered by
0
Answer:
- पत्र-लेखन एक कला है इसलिए पत्र लिखते समय पत्र में सहज, सरल तथा सामान्य बोलचाल की भाषा का प्रयोग करना चाहिए, जिससे पत्र को प्राप्त करने वाला पत्र में व्यक्त भावों को अच्छी प्रकार से समझ सकें।
- पत्र-लेखन के माध्यम से हम अपने भावों और विचारों को व्यक्त कर सकते हैं। पत्रों के माध्यम से एक व्यक्ति अपनी बातों को लिखकर दूसरों तक पहुँचा सकता है। जिन बातों को लोग कहने में हिचकिचाते हैं, उन बातों को पत्रों के माध्यम से आसानी से समझाया या कहा जा सकता है।
Explanation:
PLEASE MARK ME AS BRAINLIEST
Answered by
0
Answer:
i m going to slap u u bloody bitch
Similar questions
Physics,
7 months ago
Political Science,
7 months ago
Math,
11 months ago
Math,
11 months ago
Science,
11 months ago