अतिश्योक्ति अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिर।
2016 - महाकवि सूरवास अथवा गोस्वामी तुलसीदास की काव्यमात विशेषताएँ निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार
पर लिखिर
() साहित्य में स्थान
For- हजारी प्रसाद द्विवेदी अथवा रामवृक्ष बेनी कन्हैया लाल मित्र का साहित्य परिचय निम्नलिखित बिन्दुओं
के आधार पर लिखिए-
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4) अतिशयोक्ति अलंकार
जहाँ किसी बात को इतना बढ़ा-चढ़ाकर कहा जाए अथवा किसी की प्रशसा इतनी बढ़ा-चढ़ाकर की जाए कि वह लोक सीमा के बाहर हो तो, वहाँ 'अतिशयोक्ति अलंकार' होता है।
आगे नदिया पड़ी अपार, घोड़ा कैसे उतरे पार।
राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार।।
इन पंक्तियों में यह बताया गया है कि बहुत चोड़ी नदी
देखकर महाराणा प्रताप सोच रहे थे कि चेतक नदी को कैसे पार करेगा महाराणा प्रताप अभी सोच ही रहे थे कि तब चेतक छलांग लगा कर उस पार पढुंच गया बिडुत च को सोचने सर से केवल छलांग लगाने से केवल कर अतिशयोक्तिपूर्ण बात है। अतः यहाँ पर अतिशयोक्ति
अलंकार हैं।
(ख) कढ़त साथ ही म्यान तें, असि रिपु तन ते प्रान
इस पंक्ति में यह बताया गया है कि म्यान निकालने के साथ ही शात्र के शारीर से प्राप निक डॉ तलवार से वार किर विना गात्र के प्राण जिवल बात करना अतिशायोदित वात है ।