Hindi, asked by prathyushakumar65151, 1 year ago

‘अतिथि देवो भवः’ हमारी संस्कृति का आदर्श है। प्रस्तुत कहानी में अतिथि सत्कार की भावना सर्वत्र परिलक्षित होती है। उदाहरण देकर बताइये।

Answers

Answered by juniorgyanpankaj
0

Explanation:

अतिथि देवो भवः तो हम सदियों से कहते आए हैं लेकिन अतिथि के साथ हम क्या-क्या करते हैं, किस तरह हम इस आदर्श परम्परा को धुंधलाते हैं, किस तरह हम अपनी संस्कृति को शर्मसार करते हैं, इसकी एक ताजा बानगी स्विट्जरलैंड से आए एक युगल के साथ हुई मारपीट एवं अभद्र घटना से सामने आयी है। इससे बड़ी विडंबना और कोई नहीं कि पर्यटन पर्व के दौरान फतेहपुर सीकरी में इस युगल को पीट-पीटकर अधमरा किया गया और लोग मदद करने के बजाय उनकी फोटो खींचते रहे। यह ठीक है कि इस घटना के बाद संबंधित अफसर से लेकर मंत्री तक दुख जताने के साथ कठोर कार्रवाई की बात कह रहे हैं, लेकिन जरूरत इसकी है कि हमारी राष्ट्रीयता एवं अतिथि को देव मानने के भाव को शर्मसार करती ऐसी घटनाओं को रोकने के ठोस उपाय किए जाएं। संस्कृति को तार-तार करने वाली इस घटना को पूरा राष्ट्र अत्यंत विवशता एवं निरीहता से देख रहा है। कब तक हम संस्कृति एवं परम्परा का यह अपमान एवं अनादर देखते रहेंगे? कब हम सुधरेंगे? कब टूटेगी हमारी यह मूर्छा? नैतिकता का तकाजा है कि हमारा कोई आचरण ऐसा न हो जो किसी भी विदेशी मेहमान की भावना को ठेस पहुंचाए या उसके साथ हिंसा करे।

Similar questions