‘महाराज राजकुमारी तो पूजने लायक हैं, वे मनुष्य नहीं फरिश्ता हैं। मैं जीवन भर उनकी मेहरबानी को नहीं भूल सकता।’शत्रु सेनानायक मलिक काफूर के मुख से ये वाक्य सुनकर रलसिंह के हृदय पर क्या प्रतिक्रिया हुई होगी? कल्पना के आधार पर लिखिए।
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एक शत्रु सेनानायक के मुख से अपने प्राणों से प्यारी बेटी की इस प्रकार की प्रशंसा सुनकर रत्नसिंह का हृदय गद्गद हो उठा होगा। भावातिरेक से उनका गला सँध गया होगा और नयनों से प्रेमाश्रु बह निकले होंगे।
उन्होंने अपने भाग्य की बहुत सराहना की होगी और सोचा होगा कि मेरा जीवन धन्य हो गया। मेरी तपस्या सफल हो गई । जो संस्कार और शिक्षा मैंने अपनी प्रिय पुत्री को दी थी उसका सुफल आज मिलने लगा है। इस प्रकार महाराव रत्नसिंह की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा होगा।
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