अतिथि देवो भव उक्ति की व्याख्या करे तथा आधुनिकयुग के संदर्भ मे इसका आकलन करे। mam plz answer it.before 19 nov.2011
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अतिथि देवो भव उक्ति की व्याख्या करे तथा आधुनिकयुग के संदर्भ मे इसका आकलन करे।
अतिथि देवो भव : अतिथि देवो भवः का अर्थ होता जब भी हमारे घर या देश में कोई बहार से आता हमें उसका सम्मान और आदर करना चाहिए | अतिथि को हम मेहमान कहते है , और मेहमान भगवान के समान होता है | हमें मेहमानों के साथ अच्छे से व्यवहार करना चाहिए और उनकी सहायता करनी चाहिए |
यह हमारे संस्कार बताते है की सब की इज्ज़त ,आदर-सत्कार , और विनम्रता से पेश आना चाहिए | अतिथि हमेशा अपना समझ कर ही घर आते है , इसलिए हमें उनका सम्मान करना चाहिए | जितने दिन वह रहना चाहे उनकी देखभाल करनी चाहिए | किसी भी समय सब को किसी ना किस की जरूरत पड़ती है | आज यह हमारे घर आए है कल हमें भी जाना पड़ सकता है |
अतिथि को हमें खान पान का ध्यान रखना चाहिए और उनके रहने की उचित व्यवस्था करनी चाहिए । भारतीय संस्कृति में अतिथि का दर्जा पूजनीय है और वह देवों के समान है।
ऐसा मानने यह कारण है इंसानियत ,नैतिकता , हमारे संस्कार हमें यह सिखाते है की सब का आदर और सम्मान करना चाहिए |
आधुनिकयुग के संदर्भ मे इसका आकलन: बात आज के आधुनिक युग की करें तो सब कुछ बदल गया | आज के समय में अपनों के लिए किसी के पास समय नहीं है |
आज के समय में घर में कोई भी अतिथि घर आ जाए तो हमें बहुत बड़ी चिन्ता की बात हो जाती है | हमें सब से पहले सोचने लगते है , यह क्यों आ रहे है: पता नहीं कितने दिनों तक आएंगे ? इतना खाना कोन बनाएगा? ऑफिस से छुट्टी लेनी पड़ेगी ? हमारे दिमाग इतनी सारी बाते आ जाती है और जब घर पर आ जाए तो हम उनसे अच्छे से बात नहीं करते यही सोचते रहते है की जल्दी चले जाए |
आज के समय में सब अपने में व्यस्त रहते है , अकेले में समय व्यतीत करना चाहते है| अब कोई रिश्तेदारी निभाना नहीं चाहता है और सब दूर भागते है|