Science, asked by mohanrangab7526, 9 months ago

अठारहवीं सदी के यूरोप में कुछ लोगों को क्यों ऐसा लगता था कि मुद्रण संस्कृति से निरंकुशवाद का अंत और ज्ञानोदय होगा ?

Answers

Answered by namanyadav00795
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प्रथम कारण

मुद्रण के कारण संवाद और वाद-विवाद की नई संस्कृति का जन्म हुआ। इससे आम आदमी मूल्यों, संस्थाओं और प्रचलनों पर विवाद करने लगा और स्थापित मान्यताओं पर सवाल उठाने लगा था।

द्वितीय कारण

बहुत सारे लोगों का यह मानना था कि किताबें दुनिया बदल सकती हैं।

  • 18वीं सदी में फ्रांस के एक उपन्यासकार लुई सेबेस्तिएँ मर्सिए ने घोषणा की कि छापाखाना प्रगति का सबसे बड़ा ताकतवर औजार है और इससे बन रही जनमत की आधी में निरंकुशवाद उड़ जाएगा।
  • मर्सिए के उपन्यासों में नायक अकसर किताबें पढ़ने में बदल जाते हैं। वे किताबों की दुनिया में जीते हैं और इसी क्रम में ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं।

More Question:

उन्नीसवीं सदी में भारत में मुद्रण-संस्कृति के प्रसार का इनके लिए क्या मतलब था  

(क) महिलाएँ  

(ख) गरीब जनता

(ग) सुधारक

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