अदर स्फूति का संचार करा।
6. इन शब्दों से ऐसे दो वाक्यों की रचना कीजिए कि उनके दो अलग-अलग अर्थ स्पष्ट हो जाएँ।
अंबर, कर्ण, पट, पक्ष, मधु, बल, फल, रंग, योग, भूत
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Answer:
जाए, उसे वाक्य कहते हैं।
वाक्य के अंग
एक वाक्य में साधारण रूप से कर्ता और क्रिया का होना आवश्यक है। इस आधार पर वाक्य के दो मुख्य अंग होते हैं
उद्देश्य
विधेय।
उद्देश्य या विधेय को मिलाकर ही एक वाक्य पूरा होता है।
उद्देश्य – जिसके बारे में कोई बात कही जाए, उसे उद्देश्य कहते हैं; जैसे
रजत घर गया
आयुष पढ़ रहा है।
यहाँ रजत तथा आयुष के बारे में बात कही जा रही है। अतः ये उद्देश्य हैं। उद्देश्य में कर्ता तथा कर्ता से संबंधित प्रयुक्त किए। गए शब्द आते हैं।
विधेय – उद्देश्य के बारे में जो कुछ कहा जाए, उसे विधेय कहा जाता है; जैसे
नेहा नाच रही है।
माँ खाना पका रही है।
यहाँ रेखांकित अंश विधेय है।
वाक्य के भेद
रचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद होते हैं
सरल वाक्य
संयुक्त वाक्य
मिश्रित वाक्य
(i) सरल वाक्य – जिस वाक्य में उद्देश्य तथा एक विधेय हो, उसे सरल वाक्य कहते हैं।
जैसे-
अंशु पढ़ रही है।
माँ ने मिठाई बनाई।
(ii) संयुक्त वाक्य – जब एक से अधिक सरल वाक्य समुच्चयबोधकों द्वारा आपस में जुड़े होते हैं, तब वे संयुक्त वाक्य कहलाते हैं; जैसे-
नानी घर आई और कहानी सुनाई।
नेहा गा रही है और निशा नाच रही है।
उपर्युक्त वाक्यों में दो सरल वाक्य तथा और से जुड़े हुए हैं। समुच्चयबोधक हटाने पर ये स्वतंत्र वाक्य बन जाते हैं।
(iii) मिश्र वाक्य – जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य हो तथा दूसरा आश्रित उपवाक्य, उसे मिश्र वाक्य कहते हैं। यहाँ प्रधान उपवाक्य में कर्ता और क्रिया होने तथा वाक्य पूरा होने पर भी अर्थ प्रकट नहीं होता है; जैसे-
कोमल विद्यालय नहीं जा सकी, क्योंकि वह बीमार है।
पिता ने समझाया कि सदा सत्य बोलना चाहिए।
अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद
अर्थ के आधार पर वाक्य के आठ भेद होते हैं-
1. विधानवाचक वाक्य – जिन वाक्यों में किसी बात या कार्य के होने या करने का बोध होता है; जैसे-
आकाश में तारे चमक रहे हैं।
पक्षी घोंसलों में लौट आए।
2. निषेधवाचक वाक्य – जिन वाक्यों में किसी बात या कार्य के न होने या न करने का भाव प्रकट होता है, उसे निषेधवाचक वाक्य कहते हैं; जैसे-
उसने खाना नहीं खाया।
सड़क पर मत भागो।
3. प्रश्नवाचक वाक्य – जिस वाक्य का प्रयोग प्रश्न पूछने के लिए किया जाए, उसे प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं; जैसे-आप कहाँ रहते हैं।
4. आज्ञावाचक वाक्य – इसमें किसी बात या काम के लिए आज्ञा, प्रार्थना अथवा उपदेश का भाव रहता है; जैसे-
सदा सच बोलो।
सदा दूसरों की मदद करो।
5. विस्मयादिबोधक वाक्य – जिस वाक्य में हर्ष, विस्मय, घृणा या शोक का भाव प्रकट होता है, उसे विस्मयादिबोधक वाक्य कहते हैं, जैसे-
अहा! कैसा मीठा फल है।
अरे! तुम आ गए।
हाय! बेचारा गिर गया।
6. इच्छावाचक वाक्य – जिस वाक्य में किसी-आशीर्वाद, कामना, इच्छा आदि का बोध हो, उसे इच्छावाचक वाक्य कहते हैं; जैसे-
ईश्वर तुम्हें दीर्घायु प्रदान करें।
भारत प्रगति करता रहे।
7. संदेहवाचक वाक्य – जिस वाक्य द्वारा किसी बात या काम के होने में संदेह का बोध हो, वह संदेहवाचक वाक्य कहलाता है; जैसे-
तुमने उन्हें आते देखा होगा।
वह चला गया होगा।
8. संकेतवाचक वाक्य-जिस वाक्य में एक कार्य का होना या न होना दूसरे वाक्य पर निर्भर करे, उसे संकेतवाचक वाक्य कहते है|
उपवाक्य
वाक्य की सबसे छोटी इकाई उपवाक्य है। ये अपने आप में पूर्ण नहीं होते। दूसरे (प्रधान) उपवाक्य का आश्रय लेकर ही पूर्ण अर्थ देते हैं; जैसे
संज्ञा उपवाक्य-मैंने देखा कि वह पढ़ रहा है।
विशेषण उपवाक्य-मैं उसे जानती हूँ जो दौड़ में जीती थी।
क्रियाविशेषण-मैं वहीं रहती हूँ जहाँ तुम रहते हो।
बहुविकल्पी प्रश्न
(क) वाक्य कहलाता है
(i) शब्द समूह
(ii) शब्द समूह जिसका अर्थ स्पष्ट हो
(iii) वर्ण समूह
(iv) इनमें कोई नहीं।
(ख) ‘हमें निंदा से बचना चाहिए’ इस वाक्य में विधेय है
(i) हमें
(ii) निंदा से
(iii) हमें निंदा से
(iv) निंदा से बचना चाहिए।