Hindi, asked by ahdilkhan976, 4 months ago

अथवा
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'बरखा गीत ' कविता में प्रयुक्त प्रतीकों को समझाइए एवं प्रतीक संबधी कविता की उन पंक्तियों को
भी लिखिए।
बीडी सभी डालियाँ उसकी छाया को बढाती हैं? इस कथन की​

Answers

Answered by shishir303
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O  'बरखा गीत ' कविता में प्रयुक्त प्रतीकों को समझाइए एवं प्रतीक संबधी कविता की उन पंक्तियों को  भी लिखिए।

‘बरखा गीत’ कविता में अंबर, झूले, गागरी, धरती, मरुस्थल, पेड़, प्रहरी, बांसुरी, मीरा और घनश्याम जैसे प्रतीकों का सहारा लिया गया है। इन प्रतीकों के माध्यम से कवि ने वर्षा के सुखद वातावरण के बावजूद अपनी पीड़ा के शांत न होने का वर्णन किया है। कवि ने यह भाव प्रकट किया है कि वर्षा हुई उसके बाद चारों तरफ मनमोहक वातावरण तो छा गया लेकिन उसकी असली प्यास नहीं बुझी। यानि वर्षा रूपी बादल तो बरस के लेकिन वह बादल नहीं दिखाई दिया जो उनके मन रूपी सूखी धरती की प्यास को बुझा सके।

कविता में अनेक प्रतीकों का सहारा लिया गया है, जो इस प्रकार हैं...

जो मेरी प्यास समझ पाता,

वह बादल अभी नहीं आया।

मुरझाई धरती हरी हुई,

रीती गागरियाँ भरी हुई,

अम्बर पर बौराई बदली,

झूले पर लहराई कजली,

जो मेरे मन पर लहराता,

वह गीत अभी तक अनगाया।

बादल टूटे, बरसा जीवन,

भीगा मरुथल, महका मधुवन,

पेड़ों की छाँह हुई गहरी,

इसका साथी दिन का प्रहरी,

जो मेरा साथी बन पाता,

वह रूप कहीं है भरमाया।

बरखा के भय की डरी-डरी,

बजती है दूर कहीं बँसुरी,

जागी फिर से सोई पीड़ा,

फिर विकल हुई कोई मीरा,

जो पीड़ा को दुलरा सकता,

ऐसा घनश्याम नहीं आया।

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