अथवा
हमारे हरि हारिल की लकरी।
मन क्रम बचन नंद-नंदन उर, यह दृढ़ करि पकरी।
जागत सोवत स्वप्न दिवस-निसि, कान्ह-कान्ह जक री।
सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यौं करुई ककरी।।
सु तौ ब्याधि हमकौं लै आए, देखी सुनी न करी।
यह तो 'सूर' तिनहिं लै सौंपौ, जिनके मन चकरी।
(क) 'हारिल की लकरी' किसे कहा गया है और क्यों ?
(ख) “तिनहिं लै सौंपौ' में किसकी ओर क्या संकेत किया गया है ?
(ग) गोपियों को योग कैसा लगता है ? क्यों ?
Part b pls ans
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(क) कृष्ण को
(ख) कृष्ण की ओर
(ग)कड़वी ककड़ी की तरह
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nand nandan kise kha gya ha
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