Hindi, asked by jram22985, 1 month ago

अथवा "मगर परमात्मा का हुक्म हर जगह चलता है," वह अपनी कमीज़ उतारता हुआ बोला, "और परमात्मा के हुक्म से आज बेलाज बादशाह नंगा होकर कमिश्नर साहब के कमरे में जाएगा। आज वह नंगी पीठ पर साहब के डंडे खाएगा। आज वह बूटों की ठोकरें खाकर प्रान देगा। लेकिन वह किसी की मिन्नत नहीं करेगा। किसी को पैसा नहीं चढ़ाएगा। किसी की पूजा नहीं करेगा। जो वाहगुरु की पूजा करता है, वह और किसी की पूजा नहीं कर सकता। तो वाहगुरु का नाम लेकर..." ‘वापसी कहानी में निहित भाव का विश्लेषण कीजिए। निर्मला’ उपन्यास के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए। Section 'C'​

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Answered by anjalitripathi4125
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मगर परमात्मा का हुक्म हर जगह चलता है, यह वाक्य एक उपन्यास के आदी भाग से है और एक प्रकरण को समाप्त करने के लिए इस्तेमाल किया गया है। उपन्यास "निर्मला" उपन्यासकार प्रेमचंद द्वारा लिखा गया है। इस वाक्य में अपनी कमीज़ उतारता हुआ व्यक्ति द्वारा कहा जा रहा है।

इस प्रकरण में, व्यक्ति द्वारा बयान किये गए कथनों के माध्यम से व्यक्ति द्वारा अपने गुस्से और आपत्ति के भाव को व्यक्त किया जा रहा है। उसने कहा है कि उसे परमात्मा के हुक्म के आधार पर बेलाज़ बादशाह नंगा होकर कमिश्नर साहब के कमरे में जाना होगा, नंगी पीठ पर साहब के डंडे खाने होंगे, और वह बूटों की ठोकरें खाकर प्राण देना होगा। इसके अलावा, उसने यह भी कहा है कि वह किसी की मिन्नत नहीं करेगा, किसी को पैसा नहीं चढ़ाएगा और किसी की पूजा नहीं करेगा। यहां व्यक्ति के द्वारा यह स्पष्ट किया जा रहा है कि जो व्यक्ति वाहगुरु की पूजा करता है, वह किसी और की पूजा नहीं कर सकता।

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