Hindi, asked by hiteshbhaskar82699, 6 hours ago

अधोलिखित अपठित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर
लिखिए :
क्या रोकेंगे प्रलय मेघ ये, क्या विद्युत-घन के नर्तन,
मुझे न साथी रोक सकेंगे, सागर के गर्जन-तर्जन।
मैं अविराम पथिक अलबेला रुके न मेरे कभी चरण,
शूलों के बदले फूलों का किया न मैंने मित्र चयन ।
मैं विपदाओं में मुसकाता नव आशा के दीप लिए,
फिर मुझको क्या रोक सकेंगे जीवन के उत्थान पतन।
मैं अटका कब विचलित मैं, सतत डगर मेरी संबल,
रोक सकी पगले कब मुझको यह युग की प्राचीर निबल।
आँधी हो, ओले-वर्षा हो, राह सुपरिचित है मेरी,
फिर मुझको क्या डरा सकेंगे ये जग के खंडन-मंडन।
मुझे डरा पाए कब अंधड़, ज्वालामुखियों के कँपन,
मुझे पथिक कब रोक सकें, अग्नि शिखाओं के नर्तन।
मैं
बढ़ता
अविराम निरंतर तन-मन में उन्माद लिए,
फिर मुझको क्या डरा सकेंगे, ये बादल विद्युत नर्तन

कवि ने किसकी प्रकृति का वर्णन किया है और कैसे?

Answers

Answered by shishir303
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(i) कवि ने किसकी प्रकृति का वर्णन किया है और कैसे?

✎... कवि ने प्रलय, बादल, सागर, बिजली, आँधी, तूफान, ज्वालामुखी आदि की प्रकृति का वर्णन किया है और प्रकृति के इन तत्वों को जीवन में आने वाली बाधाओं का प्रतीक बनाया है

कवि का कहना है कि संकल्पवान मनुष्य गरजते बाद, उफनते सागर, तेज आँधी-तूफान, गरलते ज्वालामुखी या मार्ग में आने वाले काँट आदि ऐसी किसी भी बाधा से नही घबराता है, और वह इन बाधाओं को पार करता हुआ अपने लक्ष्य को पा ही लेता है।

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