India Languages, asked by mitalikumari724, 10 months ago

अधो न्यस्तेषु सन्धिं कुरुत ।
तस्य + आहारः, यत् + अभूत् + विभो, उच्छवृत्तिः + द्विजः नियत + इन्द्रियः,
ततः+ अहम्, न्याय + उपात्तेन ।

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Answered by nikitasingh79
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सन्धिं :  

तस्य + आहार: →  तस्याहार:

यत् + अभूत् + विभो → यदभूद्विभो  

उञ्छवृत्तिः + द्विजः → उज्जवृत्तिर्दिजः

नियत + इन्द्रियः → नियतेन्द्रियः

तत: + अहम् → ततोऽहम्

न्याय + उपात्तेन → न्यायोपात्तेन

अतिरिक्त जानकारी :

प्रस्तुत प्रश्न पाठ सौवर्णो नकुलः ( सोने का नेवला) से लिया गया है। इस पाठ का संकलन महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित महाभारत के आश्वमेधिक पर्व (अध्याय 91-93) से किया गया है।

सन्धि :

दो वर्णों के मेल से जो विकार उत्पन्न होता है वह विकार ही सन्धि कही जाती है।

संस्कृत व्याकरण में संधि के तीन भेद होते हैं : स्वर संधि,  व्यंजन संधि, विसर्ग संधि

स्वर संधि : जिसमें परस्पर मिलने वाले दोनों वर्ण स्वर हो।

व्यंजन संधि : जिसमें प्रथम शब्द का अंतिम वर्ण और दूसरे शब्द का प्रथम वर्ण दोनों व्यंजन होते हैं।

विसर्ग संधि: जिसमें प्रथम शब्द के अंत में विसर्ग रहे और वह बाद के शब्द के प्रथम अक्षर से मिल जाए।

 

इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न :  

रिक्तस्थानानि पूरयत

(क) राजशार्दूल!..........श्रूयताम्।

(ख) अयं वः यज्ञः.............तुल्य: नास्ति।

(ग) पुरा उञ्छवृत्तिर्द्विजः ........ अभवत्।

(घ) तदा क्षुधार्तम् ........... कुटी प्रवेशयामासुः।

(ङ) तस्य विप्रस्य तपसा मे .......... काञ्चनीकृतम्।

(च) सक्तुप्रस्थेनायं...........सम्मितो नास्ति।

brainly.in/question/15096451

'सौवर्णो नकुलः' इत्यस्य पाठस्य सारांश: मातृभाषया लेखनीयः

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