अधातु और धातु में चार अंतर लिखिए कोसटक में
Answers
Answer:
यहाँ धातु तथा अधातु के बीच अन्तर दिया गया है।
अधिकांश तत्व धातुएँ हैं। आवर्त सारणी में धातुओं तथा अधातुओं को एक टेढ़ी-मेढ़ी रेखा पृथक् करती है जिसका चरण कार्बन, फॉस्पफारस, सिलेनियम, आयोडिन तथा रेडॉन से गुजरता है। ये तत्व तथा इसके दाईं ओर अधातु हैं। इस रेखा के ठीक बाईं ओर स्थित तत्वों को उपधातु या अर्द्धधातु कहा जाता है तथा इनके गुण धातुओं तथा अधातुओं के मध्य में होते हैं।
धातु - अधातु:-
अधातु आवर्त-सारणी के वर्ग 14-16 में स्थित तत्व हैं। अधातु विद्युत या ऊष्मा के बहुत अच्छा चालक नहीं है। धातुओं के विपरीत, अधातुएँ बहुत भंगुर होते हैं तथा इसके तार या चद्दर नहीं बनाए जा सकते हैं। अधातु कमरे के ताप पर द्रव्य की तीन अवस्थाओं में से दो अवस्थाओं में उपलब्ध होते हैंः गैस (जैसे कि ऑक्सीजन) तथा ठोस (जैसे कि कार्बन)। अधातुओं में चमक नहीं होती हैं तथा प्रकाश को प्रावर्तित नहीं करती हैं। उनकी ऑक्सीकरण संख्याएँ -4, -3 एवं -2 होती हैं।
धातुओं तथा अधातुओं के भौतिक तथा रासायनिक गुणः
धातु के भौतिक गुण
चमक
ऊष्मा तथा विद्युत का सुचालक
उच्च द्रवनांक
उच्च घनत्व (उनके आकार के लिए उच्च)
आधातवर्द्ध (हथौड़े से प्रहार किया जा सकता है)
तन्य (तार खींचे जा सकते हैं)
कमरे के ताप पर प्रायः ठोस (पारा को छोड़कर)
पतले चद्दर के रूप में अपारदर्शी (धातुओं से होकर देखा नहीं जा सकता)
धातुएँ सुरीली ध्वनि उत्पन्न करते हैं या जब इस पर प्रहार किया जाता है तो इससे घंटी जैसी आवाज आती है।
अधातुओं के भौतिक गुण
चमक नहीं है (मंद रूप)
ऊष्मा तथा विद्युत का कुचालक
गैर नमनीय ठोस
भंगुर ठोस
कमरे के ताप पर ठोस, द्रव या गैस हो सकते हैं। पतली चद्दर के रूप में पारदर्शी होती हैं।
धातु के रासायनिक गुण
प्रत्येक धातु के परमाणु के बाह्य शेल में 1से 3 इलेक्ट्रॉन होते हैं।
इसमें आसानी से जंग लगता है (उदाहरण ऑक्सीकरण द्वारा नुकसान होता है जैसे कि धब्बा या जंग)।
आसानी से इलेक्ट्रॉन खोता है।
ऑक्साइड का निर्माण करता है जो कि क्षारीय होता है।
निम्न विद्युत ट्टणात्मक होते हैं।
अच्छे अवकारक एजेंट होते हैं।
अधातु के रासायनिक गुण
उनके बाह्यतम शेल में प्रायः 4 से 8 इलेक्ट्रॉन होते हैं।
तेजी से संयोजी इलेक्ट्रॉन प्राप्त करते हैं या साझेदारी करते हैं।
ऑक्साइडों का निर्माण करते हैं जो अम्लीय होते हैं।
उच्च विद्युत ट्टणात्मक होते हैं।
अच्छे ऑक्सीकारक एजेंट होते हैं।
धातुकर्म
धातुकर्म धातुओं का उनके अयस्कों से निष्कर्षण एवं शुद्धिकरण का विज्ञान है।
खनिज एक या अधिक तत्वों या उनके यौगिकों से युक्त प्रकृति में उपलब्ध पदार्थ है।
अयस्क एक खनिज है जिससे एक या अधिक धातुओं का निष्कर्षण हो सकता है। धातुकर्मिक प्रक्रियाएँः- इसमें तीन मुख्य चरण हैं। वे हैं-1) अयस्क का सान्द्रण, 2)अवकरण, 3) शोधन
अयस्क का सान्द्रणः यह अयस्क से अशुद्धियों को हटाता है।
अवकरणः यह धातु को इसके यौगिक से प्राप्त करने की प्रक्रिया है।
शोधन- यह अशुद्ध धातु प्राप्त करने की शुद्धिकरण की प्रक्रिया है।
धातुओं के उपयोग
आयरन :- इसका उपयोग आल्पिन, कील, नट, बोल्ट, औजार, मशीन, भवन निर्माण, पुल, इत्यादि में होता है।
एलुमिनियम- इसका उपयोग बर्तन बनाने, तार पफर्नीचर, वायुयान के भाग वाहन, मशीन, खाद्य तथा औषधियों की पैकिंग में होता है।
ताँम्बा- इसका तार बर्तन, विद्युत मशीन इत्यादि बनाने में उपयोग होता है।
सोना- इसका आभूषण, सिक्के, मेडल इत्यादि बनाने में उपयोग होता है।
चाँदी- इसका आभूषण, सिक्के, मेडल इत्यादि बनाने में उपयोग होता है।
प्लैटिनम- इसका आभूषण, विद्युत मशीन, वाहन में प्लग इत्यादि बनाने में उपयोग होता है।
सोडियम- इसके यौगिक से साधारण नमक, रसायन इत्यादि बनाने में उपयोग होता है।
कैल्शियम- इसके यौगिक का उपयोग साधारण सीमेण्ट, काँच इत्यादि बनाने में होता है।
अधातुओं के गुण
सल्पफर- इसका उपयोग सल्फ्यूरिक अम्ल, धातुओं के लवण बनाने, इत्यादि में होता है।
ऑक्सीजन- सजीव वस्तुओं द्वारा श्वसन के लिए ईंधन के दहन इत्यादि बनाने में इसका उपयोग होता है।
नाइट्रोजन- अमोनिया बनाने में, जो ऊर्वरक बनाने में उपयोग होता है।
हाइड्रोजन- अमोनिया बनाने में, जिसका उपयोग ऊर्वरक बनाने में होता है, रॉकेट के ईंधन के रूप में वेल्डिंग इत्यादि में हाइड्रोजन का उपयोग होता है।
क्लोरीन - जल में किटाणुओं को मारने में इसका उपयोग होता है।
आयोडीन - टिंक्चर आयोडीन के रूप में उपयोग होता है जो एक एंटिसेप्टिक है।
Explanation:
please write question ine English