अविद्या या अंधविश्वास को समाप्त करने के लिए आर्य समाज ने क्या कार्य किए? कोई चार कार्य
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आर्यसमाज का योगदान
आर्य समाज शिक्षा, समाज-सुधार एवं राष्ट्रीयता का आन्दोलन था। भारत के ८५ प्रतिशत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, आर्य समाज ने पैदा किया। स्वदेशी आन्दोलन का मूल सूत्रधार आर्यसमाज ही है।[3]
स्वामी जी ने धर्म परिवर्तन कर चुके लोगों को पुन: हिंदू बनने की प्रेरणा देकर शुद्धि आंदोलन चलाया।[4]
आज विदेशों तथा योग जगत में नमस्ते शब्द का प्रयोग बहुत साधारण बात है। एक जमाने में इसका प्रचलन नहीं था - हिन्दू लोग भी ऐसा नहीं करते थे। आर्यसमाजियो ने एक-दूसरे को अभिवादन करने का ये तरीका प्रचलित किया। ये अब भारतीयों की पहचान बन चुका है।
स्वामी दयानन्द ने हिंदी भाषा में सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक तथा अनेक वेदभाष्यों की रचना की।[4] वस्तुतः आर्यसमाजियों द्वारा की गयी हिन्दी-सेवा अद्वितीय है।
सन् १८८६ में लाहौर में स्वामी दयानंद के अनुयायी लाला हंसराज ने दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज की स्थापना की थी।
सन् १९०१ में स्वामी श्रद्धानन्द ने कांगड़ी में गुरुकुल विद्यालय की स्थापना की।
अनेक आर्यसमाजी विदेशों में जाकर हिन्दुओं में हिन्दी भाषा एवं स्वातंत्र्य-चेतना का प्रसार किया।
वेलेन्टाइन शिरोल (Valentine Chirole) नामक एक अंग्रेज ने 'इंडियन अनरेस्ट' (indian unrest) नामक अपनी पुस्तक में तो सत्यार्थ प्रकाश को 'ब्रिटिश साम्राज्य की जड़ें खोखली करने वाला' और दयानन्द सरस्वती को 'भारतीय अशांति का जन्मदाता' बताया है।