अव्यय किसे कहते हैं? अव्यय के भेदों को लिखकर परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।
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किसी भी भाषा के वे शब्द अव्यय (Indeclinable या inflexible) कहलाते हैं जिनके रूप में लिंग, वचन, पुरुष, कारक, काल इत्यादि के कारण कोई विकार उत्पत्र नहीं होता। ऐसे शब्द हर स्थिति में अपने मूलरूप में बने रहते है। चूँकि अव्यय का रूपान्तर नहीं होता, इसलिए ऐसे शब्द अविकारी होते हैं। अव्यय का शाब्दिक अर्थ है- 'जो व्यय न हो।'
उदाहरण
हिन्दी अव्यय : जब, तब, अभी, उधर, वहाँ, इधर, कब, क्यों, वाह, आह, ठीक, अरे, और, तथा, एवं, किन्तु, परन्तु, बल्कि, इसलिए, अतः, अतएव, चूँकि, अवश्य, अर्थात इत्यादि।
अव्यय पांच प्रकार के होते हैं-
1. क्रिया-विशेषण
2. संबंधबोधक
3. समुच्चय बोधक
4. विस्मयादिबोधक
5. निपातव
अर्थ के अनुसार क्रिया-विशेषण के चार भेद हैं-
1. कालवाचक
2. स्थानवाचक
3. परिमाणवाचक
4. रीतिवाचक
अव्यय का शाब्दिक अर्थ होता है – जो व्यय न हो। जिनके रूप में लिंग , वचन , पुरुष , कारक , काल आदि की वजह से कोई परिवर्तन नहीं होता उसे अव्यय शब्द कहते हैं। अव्यय शब्द हर स्थिति में अपने मूल रूप में रहते हैं। इन शब्दों को अविकारी शब्द भी कहा जाता है।
जैसे :- जब , तब , अभी ,अगर , आदि।
अव्यय के भेद :-
1. क्रिया-विशेषण अव्यय
2. संबंधबोधक अव्यय
3. समुच्चयबोधक अव्यय
4. विस्मयादिबोधक अव्यय
5. निपात अव्यय
1. क्रिया-विशेषण अव्यय :- जिन शब्दों से क्रिया की विशेषता का पता चलता है उसे क्रिया -विशेषण कहते हैं। जहाँ पर यहाँ , तेज , अब , रात , धीरे-धीरे , प्रतिदिन , सुंदर , वहाँ , तक , जल्दी , अभी , बहुत आते हैं वहाँ पर क्रियाविशेषण अव्यय होता है।
जैसे :- (i) वह यहाँ से चला गया।
(ii) घोडा तेज दौड़ता है।
प्रयोग के आधार पर क्रिया -विशेषण अव्यय के भेद :-
1. साधारण क्रियाविशेषण अव्यय
2. संयोजक क्रियाविशेषण अव्यय
3. अनुबद्ध क्रियाविशेषण अव्यय
1. साधारण क्रियाविशेषण अव्यय :- जिन शब्दों का प्रयोग वाक्यों में स्वतंत्र रूप से किया जाता है उन्हें साधारण क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।
जैसे :- (i) हाय! अब मैं क्या करूँ।
(ii) बेटा जल्दी जाओ !
(iii) अरे! वह सांप कहाँ गया ?
2. संयोजक क्रियाविशेषण अव्यय :- जिन शब्दों का संबंध किसी उपवाक्य के साथ होता है उन्हें संयोजक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।
जैसे :- (i) जब अंकित ही नहीं तो मैं जी कर क्या करूंगी।
(ii) जहाँ पर अब समुद्र है वहाँ पर कभी जंगल था।
3. अनुबद्ध क्रियाविशेषण अव्यय :- जिन शब्दों का प्रयोग निश्चय के लिए किसी भी शब्द भेद के साथ किया जाता है उन्हें अनुबद्ध क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।
जैसे :- (i) मैंने उसे देखा तक नहीं।
(ii) आपके आने भर की देर है।
रूप के आधार पर क्रियाविशेषण अव्यय के भेद :-
1. मूल
2. यौगिक
3. स्थानीय
1. मूल :- जिन शब्दों में दूसरे शब्दों के मेल की जरूरत नहीं पडती उन्हें मूल क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।
जैसे :- (i) अचानक से सांप आ गया।
(ii) मैं अभी नही आया।
2. यौगिक :- जो शब्द दूसरे शब्द में प्रत्यय या पद जोड़ने से बनते हैं उन्हें यौगिक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।
जैसे :- (i) तुम रातभर में आ जाना।
(ii) वह चुपके से जा रहा था।
3. स्थानीय :- वे अन्य शब्द भेद जो बिना किसी परिवर्तन के विशेष स्थान पर आते हैं उन्हें स्थानीय क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।
जैसे :- (i) वह अपना सिर पढ़ेगा।
(ii) तुम दौडकर चलते हो।
अर्थ क अनुसार क्रिया -विशेषण अव्यय के भेद :-
1. कालवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
2. स्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
3. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
4. रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
1. कालवाचक क्रियाविशेषण अव्यय :- जिन अव्यय शब्दों से कार्य के व्यापार के होने का पता चले उसे कालवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।
जहाँ पर आजकल , अभी , तुरंत , रातभर , दिन , भर , हर बार , कई बार , नित्य , कब , यदा , कदा , जब , तब , हमेशा , तभी , तत्काल , निरंतर , शीघ्र पूर्व , बाद , पीछे , घड़ी-घड़ी , अब , तत्पश्चात , तदनन्तर , कल , फिर , कभी , प्रतिदिन , दिनभर , आज , परसों , सायं , पहले , सदा , लगातार आदि आते है वहाँ पर कालवाचक क्रियाविशेषण अव्यय होता है।
जैसे :- (i) वह नित्य टहलता है।
(ii) वे कब गए।
2. स्थान क्रियाविशेषण अव्यय :- जिन अव्यय शब्दों से कार्य के व्यापार के होने के स्थान का पता चले उन्हें स्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।
जहाँ पर यहाँ , वहाँ , भीतर , बाहर , इधर , उधर , दाएँ , बाएँ , कहाँ , किधर , जहाँ , पास , दूर , अन्यत्र , इस ओर , उस ओर , ऊपर , नीचे , सामने , आगे , पीछे , आमने आते है वहाँ पर स्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्यय होता है।
जैसे :- (i) मैं कहाँ जाऊं ?
(ii) तारा कहाँ अवम किधर गई ?
3. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय :- जिन अव्यय शब्दों से कार्य के व्यापार के परिणाम का पता चलता है उसे परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं। जिन अव्यय शब्दों से नाप-तोल का पता चलता है।
जहाँ पर थोडा , काफी , ठीक , ठाक , बहुत , कम , अत्यंत , अतिशय , बहुधा , थोडा -थोडा , अधिक , अल्प , कुछ , पर्याप्त , प्रभूत , न्यून , बूंद-बूंद , स्वल्प , केवल , प्राय: , अनुमानत: , सर्वथा , उतना , जितना , खूब , तेज , अति , जरा , कितना , बड़ा , भारी , अत्यंत , लगभग , बस , इतना , क्रमश: आदि आते हैं वहाँ पर परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।
जैसे :- (i) मैं बहुत घबरा रहा हूँ।
(ii) वह अतिशय व्यथित होने पर भी मौन है
4. रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय :- जिन अव्यय शब्दों से कार्य के व्यापार की रीति या विधि का पता चलता है उन्हें रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।
जहाँ पर ऐसे , वैसे , अचानक , इसलिए , कदाचित , यथासंभव , सहज , धीरे , सहसा , एकाएक , झटपट , आप ही , ध्यानपूर्वक , धडाधड , यथा , ठीक , सचमुच , अवश्य , वास्तव में , निस्संदेह , बेशक , शायद , संभव है , हाँ , सच , जरुर , जी , अतएव , क्योंकि , नहीं , न , मत , कभी नहीं , कदापि नहीं , फटाफट , शीघ्रता , भली-भांति , ऐसे , तेज , कैसे , ज्यों , त्यों आदि आते हैं वहाँ पर रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।
जैसे :- (i) जरा , सहज एवं धीरे चलिए।
(ii) हमारे सामने शेर अचानक आ गया।
2. संबंधबोधक अव्यय :- जिन अव्यय शब्दों के कारण संज्ञा के बाद आने पर दूसरे शब्दों से उसका संबंध बताते हैं उन शब्दों को संबंधबोधक शब्द कहते हैं। ये शब्द संज्ञा से पहले भी आ जाते हैं।
जहाँ पर बाद , भर , के ऊपर , की और , कारण , ऊपर , नीचे , बाहर , भीतर , बिना , सहित , पीछे , से पहले , से लेकर , तक , के अनुसार , की खातिर , के लिए आते हैं वहाँ पर संबंधबोधक अव्यय होता है।
जैसे :- (i) मैं विद्यालय तक गया।
(ii) स्कूल के समीप मैदान है
भाव के आधार पर विस्मयादिबोधक अव्यय के भेद :-
(1) हर्षबोधक
(2) शोकबोधक
(3) विस्मयादिबोधक
(4) तिरस्कारबोधक
(5) स्वीकृतिबोधक
(6) संबोधनबोधक
(7) आशिर्वादबोधक