अवधी के दो महान ग्रंथों के नाम तथा उनके लेखक के नाम लिखें।
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भक्तिकाव्य और प्रेमाख्यान काव्य, प्राचीन अवधी साहित्य की दो शाखाएँ हैं।
भक्तिकाव्य संपादित करें
अवधी में रचित रामचरितमानस ग्रंथ के रचयिता महाकवि गोस्वामी तुलसीदास
भक्तिकाव्य का शिरोमणि ग्रंथ गोस्वामी तुलसीदास कृत ‘रामचरितमानस’ है। भक्तिकाव्य में गोस्वामी तुलसीदास का रामचरितमानस (संवत 1631) अवधी साहित्य की प्रमुख कृति है। इसकी भाषा संस्कृत शब्दावली से भरी है। रामचरितमानस के अतिरिक्त तुलसीदास ने अन्य कई ग्रंथ अवधी में लिखे हैं। इसी भक्ति साहित्य के अंतर्गत लालदास का "अवधबिलास" आता है। इसकी रचना संवत् 1700 में हुई। इनके अतिरिक्त कई और भक्त कवियों ने रामभक्ति विषयक ग्रंथ लिखे।[2]
संत कवियों में बाबा मलूकदास भी अवधी क्षेत्र के थे। इनकी बानी का अधिकांश अवधी मे है। इनके शिष्य बाबा मथुरादास की बानी भी अधिकतर अवधी में है। बाबा धरनीदास यद्यपि छपरा जिले के थे तथापि उनकी बानी अवधी में प्रकाशित हुई। कई अन्य संत कवियों ने भी अपने उपदेश के लिए अवधी को अपनाया है।
यहां पर यह ध्यान देने योग्य है कि सूरजदास[3] की ‘रामजन्म’ (गोस्वामी तुलसीदास के पूर्व हुए थे सूरजदास), ईश्वरदास की सत्यवती, कुतुबत का मिरगावत, लालचदास का हरिचरित, संवत 1558 में पुरुषोत्तम दास रचित जैमिनी पुराण, मंझन की मधुमालती, अमीर खुसरो व अब्दुलरहीम खानखाना की रचनाओं से अवधी को पूर्व मे जो प्रतिष्ठा प्राप्त हुई थी, उसे आज रचनाशीलता के जरिए संरक्षित करने की जरूरत है।
नरोत्तमदास की संवत १६०५ में रचित सुदामा चरित काव्य-ग्रंथ अवधी में हैं।
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