Social Sciences, asked by ramshakhan2705, 3 months ago

awadh m vidhroh itna vyapak kyo tha? kisaan ,tallukdaar or zamindaar usme kyu shaamil huwe?​

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Answered by shuklavaibhav725
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Explanation:

अवध में विद्रोह की व्यापकता के कारण :

अवध में विद्रोह की व्यापकता के कारण :1. लार्ड डलहौजी ने 1851 में यह निर्णय ले लिया था की किसी न किसी बहाने से अवध को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाया जायेगा l पाँचसाल के बाद उसने इस रियासत को ब्रिटिश साम्राज्य का अंग घोषित कर दिया गया l यद्दपि अवध अंग्रेजों का मित्र राज्य था लेकिन वहाँ की जमीन नील और कपास की खेती के लिए बहुत उचित थी l इस इलाके को उत्तरी भारत के बड़े बाजार के रूप में विकसित किया जा सकता था l अवध के नवाब वाजिद अली शाह को यह कहते हुए गद्दी से हटाकर कलकत्ता भेझ दिया की वो शासक अच्छीतरह नही चला रहा था l

अवध में विद्रोह की व्यापकता के कारण :1. लार्ड डलहौजी ने 1851 में यह निर्णय ले लिया था की किसी न किसी बहाने से अवध को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाया जायेगा l पाँचसाल के बाद उसने इस रियासत को ब्रिटिश साम्राज्य का अंग घोषित कर दिया गया l यद्दपि अवध अंग्रेजों का मित्र राज्य था लेकिन वहाँ की जमीन नील और कपास की खेती के लिए बहुत उचित थी l इस इलाके को उत्तरी भारत के बड़े बाजार के रूप में विकसित किया जा सकता था l अवध के नवाब वाजिद अली शाह को यह कहते हुए गद्दी से हटाकर कलकत्ता भेझ दिया की वो शासक अच्छीतरह नही चला रहा था l2. अवध को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाने से अवध की जनता को गहरी भावनात्मक चौट पहुँची थी l इस भवनात्मक उथल-पुथल को भौतिक क्षति के अहसास से और बल मिला l

अवध में विद्रोह की व्यापकता के कारण :1. लार्ड डलहौजी ने 1851 में यह निर्णय ले लिया था की किसी न किसी बहाने से अवध को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाया जायेगा l पाँचसाल के बाद उसने इस रियासत को ब्रिटिश साम्राज्य का अंग घोषित कर दिया गया l यद्दपि अवध अंग्रेजों का मित्र राज्य था लेकिन वहाँ की जमीन नील और कपास की खेती के लिए बहुत उचित थी l इस इलाके को उत्तरी भारत के बड़े बाजार के रूप में विकसित किया जा सकता था l अवध के नवाब वाजिद अली शाह को यह कहते हुए गद्दी से हटाकर कलकत्ता भेझ दिया की वो शासक अच्छीतरह नही चला रहा था l2. अवध को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाने से अवध की जनता को गहरी भावनात्मक चौट पहुँची थी l इस भवनात्मक उथल-पुथल को भौतिक क्षति के अहसास से और बल मिला l3. अवध जैसे जिन इलाकों में 1857 के दौरान प्रतिरोध बेहद सघन और लंबा चला था वहाँ लड़ाई की बागडोर असल में ताल्लुक्दारों और उनके किसानों के हाथ में थी l बहुत सारे ताल्लुक्दार अवध के नवाब के प्रति निष्ठा रखते थे इसलिए वे अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए लखनऊ जाकर

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