Hindi, asked by manishshastri6115, 1 year ago

बी आर अम्बेडकर पर निबंध | Write an essay on BR Ambedkar in Hindi

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Answered by yashsoni3121999
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1. प्रस्तावना:

स्वतन्त्र भारत के संविधान निर्माता, दलितों के मसीहा, समाज सुधारक डॉ० भीमराव अम्बेडकर एक राष्ट्रीय नेता भी थे । सामाजिक भेदभाव, अपमान की जो यातनाएं उनको सहनी पड़ी थीं, उसके कारण वे उसके विरुद्ध संघर्ष करने हेतु संकल्पित हो उठे । उन्होंने उच्चवर्गीय मानसिकता को चुनौती देते हुए निम्न वर्ग में भी ऐसे महान् कार्य किये, जिसके कारण सारे भारतीय समाज में वे श्रद्धेय हो गये ।

2. जीवन परिचय:

डॉ० अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू इन्दौर (म०प्र०) में हुआ था । उनके बचपन का नाम भीम सकपाल था । उनके पिता रामजी मौलाजी सैनिक स्कूल में प्रधानाध्यापक थे । उन्हें मराठी, गणित, अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान था । भीम को भी यही गुण अपने पिता से विरासत में मिले थे । उनकी माता का नाम भीमाबाई था ।

अम्बेडकर जिस जाति में पैदा हुए थे, वह बहुत निम्न व हेय समझी जाने वाली जाति थी । जब वे 5 वर्ष के थे, तब उनकी माता का देहान्त हो गया था । उनका पालन-पोषण चाची ने किया । वे अपने माता-पिता की 14वीं सन्तान थे । भीमराव संस्कृत पढ़ना चाहते थे, किन्तु अछूत होने के कारण उन्हें संस्कृत पढ़ने का अधिकारी नहीं समझा गया ।

प्रारम्भिक शिक्षा में उन्हें बहुत अधिक अपमानित होना पड़ा । अध्यापक उनके किताब, कॉपी को नहीं छूते थे । जिस स्थान पर अन्य लड़के पानी पीते थे, वे उस स्थान पर नहीं जा सकते थे । कई बार उन्हें प्यासा ही रहना पड़ता था । इस प्रकार की छुआछूत की भावना से वे काफी दुखी रहा करते थे ।

एक बार तो भीम तथा उनके दोनों भाइयों को बैलगाड़ी वाले ने उनकी जाति जानते ही नीचे धकेल दिया । ऐसे ही मकान की छत के नीचे बारिश से बचने के लिए वे खड़े थे, तो मकान मालिक ने उनकी जाति जानते ही कीचड़ सने पानी में उन्हें धकेल दिया । अछूत होने के कारण नाई भी उनके बाल नहीं काटता था । अध्यापक उन्हें पढ़ाते नहीं थे ।

पिता की मृत्यु के बाद बालक भीम ने अपनी पढ़ाई पूर्ण की । वे एक प्रतिभाशाली छात्र थे । अत: बड़ौदा के महाराज ने उन्हें 25 रुपये मासिक छात्रवृत्ति भी दी । 1907 में मैट्रिक व 1912 में बी०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की । बड़ौदा के महाराज की ओर से कुछ मेधावी छात्रों को विदेश में पढ़ने की सुविधा दी जाती थी, सो अम्बेडकर को यह सुविधा मिल गयी ।

अम्बेडकर ने 1913 से 1917 तक अमेरिका और इंग्लैण्ड में रहकर अर्थशास्त्र, राजनीति तथा कानून का गहन अध्ययन किया । पी०एच०डी० की डिग्री भी यहीं से प्राप्त की । बड़ौदा नरेश की छात्रवृत्ति की शर्त के अनुसार उनकी 10 वर्ष सेवा करनी थी ।

उन्हें सैनिक सचिव का पद दिया गया । सैनिक सचिव के पद पर होते हुए भी उन्हें काफी अपमानजनक घटनाओं का सामना करना पड़ा । जब वे बड़ौदा नरेश के स्वागतार्थ उन्हें लेने पहुंचे, तो अछूत होने के कारण उन्हें होटल में नहीं आने दिया ।

Answered by coolthakursaini36
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                             “डॉ भीमराव अंबेडकर”

भीमराव अंबेडकर बाबा साहेब नाम से भी जाना जाता है। भारत का संविधान बनाने में अंबेडकर जी का योगदान अविस्मरणीय है। अंबेडकर जी जाने-माने विधिवेता और राजनीतिज्ञ थे। इन्होंने देश में छुआछूत, जातिवाद को मिटाने के लिए बहुत से आंदोलन किए। इन्होंने दलित और पिछड़ी जाति को ऊपर उठाने में कड़ी मेहनत की।

आजादी के बाद जब भारत की सरकार बनी तो पंडित जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट में इनको कानून मंत्री बनाया गया। अंबेडकर जी ने देश के लिए समर्पित भाव से काम किए जिसके लिए उन्हें देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से 1990 में सम्मानित किया गया।

14 अप्रैल 1991 को भारत की इस धरा इस वीर सपूत का जन्म हुआ। इनका जन्म मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनके बचपन का मूल नाम भीमराव था। इनके पिताश्री रामजी  मलोजी सकपाल एक सैनिक अधिकारी थे। इनकी माता जी का नाम भीमाबाई था। यह अपने माता पिता की चौदहवीं संतान थे तथा बचपन से ही प्रतिभा से संपन्न थे।  

उस समय भारत में छुआछूत अपने शिखर पर था डॉ भीमराव अंबेडकर का जन्म महार जाति में हुआ था और उन्हें भी बचपन में छुआछूत की प्रताड़ना झेलनी पड़ी थी।

भीमराव की प्रारंभिक शिक्षा दबौली तथा सतारा में हुई थी। 1960 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा मुंबई के एलफिंस्टोन से पास की थी । मुंबई के विश्वविद्यालय से उन्होंने 1912 में स्नातक की परीक्षा पास की। एम. ए. के अध्ययन के लिए उन्होंने अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। अपनी स्नातकोत्तर की उपाधि उन्होंने 1915 में पास की, इसके लिए उन्होंने "अपना शोध प्राचीन भारत का वाणिज्य" लिखा था। उसी विश्वविद्यालय से उन्होंने 1916 में पीएचडी की उपाधि भी प्राप्त की।

डॉ भीमराव आंबेडकर दलितों और अन्य पिछड़ी जातियों पर हुए अत्याचार से आहत होकर उनके साथ खड़े हो गए तथा उनके अधिकारों के लिए दलित प्रतिनिधित्व के रूप में वह सामने आए। उन्होंने दलितों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई उनके हक के लिए वह निरंतर संघर्ष रथ थे।

डॉ भीमराव आंबेडकर एक अद्वितीय विद्वान और विधि वेता थे जिनके तर्कों के आगे सभी नतमस्तक हो जाते थे।  

जब 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ तो कांग्रेस के नेतृत्व नेतृत्व वाली सरकार में उनको कानून मंत्री बनाया गया। स्वतंत्र भारत के लिए संविधान बनाने के लिए यह मसौदा समिति का गठन किया गया उन्हें डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया गया। भारत का संविधान उस महापुरुष के योगदान से ही बना है।

वह हमेशा से समाज में समानता देखना चाहते थे । जिसके लिए उन्होंने शोषित, पीड़ित और दलित वर्गों के उत्थान के लिए जीवनपर्यंत संघर्ष किया। भारतीय संविधान के जनक की मृत्यु 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में हुई थी।


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