बाबू रामजीदास और रामेश्वरी के स्वभाव में क्या मौलिक अन्तर था? संक्षेप में समझाइये।
उत्तर;
बाबू रामजीदास का स्वभाव बहुत सरल, सहज और कोमलता लिए हुए है। वे अपने छोटे भाई के बच्चों से स्नेह भाव रखते हैं। सज्जनता उनके स्वभाव में सर्वत्र दिखाई देती है। उनका हृदय सहानुभूतिपूर्ण है। उनकी संतोषी प्रकृति भी पाठकों को आकृष्ट करती है। दूसरी ओर ताई के स्वभाव में ईर्ष्या, द्वेष और घृणा ऐसे भाव हैं जो बाबू साहब के स्वभाव से बिल्कुल भिन्न हैं। कहानी के पूर्वार्द्ध में तो ताईं के स्वभाव की नकारात्मकता ही अधिक परिलक्षित होती है, परन्तु कहानी के उत्तरार्द्ध में और अन्त में उनकी ममता, कोमलता, सहृदयता, सहानुभूति आदि स्पष्ट रूप में दिखाई देती है। संतान की लालसा ताई के हृदय में सर्वत्र दिखाई देती है।
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रामेश्वरी बाबू रामजीदास से क्यों क्रोधित थी
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