‘बड़े भाई साहब’ कहानी के आधार पर लगभग 100 शब्दों में लिखिए कि लेखक ने समूची शिक्षा प्रणाली के किन पहलुओं पर व्यंग्य किया है? आपके विचारों से इसका क्या समाधान हो सकता है? तर्कपूर्ण उत्तर लिखिए| अथवा ‘अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि बढ़ती हुई आबादी का पशुपक्षियों और मनुष्यों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ रहा है? इसका समाधान क्या हो सकता है? उत्तर लगभग 100 शब्दों में दीजिए|
Answers
अथवा
अगर हम सही से देखें तो हम यह पाएंगे की पृथ्वी पर ज्यादातर समस्याओं के जड़ में ये बढ़ती हुई आबादी है। अगर भारत देश में अन्य छोटे और कम आबादी वाले देशों से ज्यादा समस्याएं है तो उसका मूल कारण हमारी बेतहाशा जनसंख्या है।
बढ़ती जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करने के लिए हम इस संसार से केवल लेते जा रहे हैं चाहे वो पानी हो, हवा हो या खनिज इत्यादि हो। हमने अपने सुविधा के लिए बिना किसी चीज की चिंता किए पेड़ों की कटाई करते जा रहे हैं।
वन क्षेत्र में कमी आने से पशु पक्षियों पर काफी प्रभाव पड़ा है। इनकी कई प्रजातियां अब विलुप्त होने के कगार पर हैं।
अब कहां दूसरों के दुख से दुखी होने वाले पाठ में भी यही कहा गया है कि हमें इन पशुओं का दुख नहीं दिखाई देता। हम अपने फायदे के लिए इनका बसेरा उजाड़ रहे हैं।
Answer:
बड़े भाईसाहब’ पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा प्रणाली पर व्यंग्य किया है उनके अनुसार वर्तमान शिक्षा प्रणाली में रटंत विद्या पर बल दिया जाता है, व्यावहारिक ज्ञान पर नहीं । अंग्रेजी भाषा पढ़ने पर बहुत अधिक बल दिया जाता है जबकि मातृभाषा हिंदी है । इसके अतिरिक्त अलजबरा और ज्योमेट्री के तर्क उनकी समझ से परे थे । इंग्लॅण्ड का इतिहास तथा वहाँ के बादशाहों के नाम याद करने का वास्तविक जीवन में कोई लाभ नहीं है । इसी तरह विचारों की अभिव्यक्ति के नाम पर चार-चार पृष्ठों के निबंध लिखवाने के औचित्य पर प्रश्न चिह्न लगाया । इस प्रकार यह शिक्षा सैद्धांतिक है व्यावहारिक नहीं । इससे बालकों का सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता तथा मूल्यांकन प्रणाली के दोषपूर्ण होने के कारण विद्यार्थी की योग्यता का भी सही आंकलन नहीं हो सकता ।
Explanation:
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